नई दिल्ली, 2 जुलाई (आईएएनएस)। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने यहां कहा कि मोटापा, कोविड-19 सहित कई बीमारियों के लिए एक जोखिम कारक है। यह कोविड के लक्षणों को लंबा करने के साथ-साथ इसकी गंभीरता को भी बढ़ा देता है। इससे कोविड पीडि़त मरीज को स्वस्थ होने मेंं समय लगता है।
साक्ष्यों ने लंबे समय तक रहने वाले कोविड और मोटापे के बीच संबंध बताया है। दुनिया भर में 1 अरब से अधिक लोग और भारत में लगभग 135 मिलियन लोग मोटापे से पीडि़त हैं।
मोटापे को सुस्ती, थकान बढ़ाना, सांस लेने में तकलीफ, शारीरिक गतिविधियों में कमी का कारण माना जाता है।
साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चला है कि 40 किग्रा/एम2 से अधिक बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले अत्यधिक मोटापे वाले लोगों को लंबे समय तक कोविड लक्षणों के विकास के लिए स्वतंत्र जोखिम कारक के रूप में पहचाना गया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि मोटापे ने गंभीर कोविड रोगियों में रुग्णता और मृत्यु दर का जोखिम बढ़ा दिया है। अधिक वजन वाले लोगों में लंबे समय तक रहने वाले कोविड लक्षण भी बढ़ जाते हैं।
इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल, नई दिल्ली के वरिष्ठ सलाहकार, जीआई, बेरिएट्रिक और रोबोटिक सर्जन डॉ. अरुण प्रसाद ने आईएएनएस को बताया, "मोटापा, शरीर में अत्यधिक वसा जमा होने के कारण होता है, जो पुरानी निम्न-श्रेणी की सूजन और बिगड़ा हुआ प्रतिरक्षा कार्य से जुड़ा होता है। ये कारक लंबे समय तक लक्षणों में योगदान कर सकते हैं और मोटे व्यक्तियों में लंबे समय तक रहने वाले कोविड की गंभीरता को बढ़ा सकते हैं।"
उन्होंने कहा, "इसके अतिरिक्त, मोटापा हृदय रोग और मधुमेह जैसी विभिन्न सह-रुग्णताओं के लिए एक जोखिम कारक माना जाता है, जो पुनर्प्राप्ति प्रक्रिया को और जटिल कर सकता है।"
लॉन्ग कोविड को "चल रहे लक्षणात्मक कोविड-19" (संक्रमण के चार से 12 सप्ताह बाद लक्षण) और "पोस्ट कोविड सिंड्रोम" (लक्षण, जो 12 सप्ताह या उससे अधिक समय तक जारी रहते हैं) दोनों के रूप में परिभाषित किया गया है।
जबकि लंबे समय तक कोविड के साथ रहने वालों की सटीक संख्या अनिश्चित है, अध्ययनों से पता चलता है कि एसएआरएस -सीओवी-2 से संक्रमित लगभग 10-20 प्रतिशत लोगों में ऐसे लक्षण विकसित हो सकते हैं, जिनका निदान लंबे समय तक चलने वाले कोविड के रूप में किया जा सकता है। आधिकारिक अनुमान बताते हैं कि कोविड ने 763 मिलियन से अधिक लोगों को संक्रमित किया है।
अमृता हॉस्पिटल, फ़रीदाबाद की इंटरनल मेडिसिन की सलाहकार डॉ. साक्षी सिंह ने आईएएनएस को बताया।
डॉ. प्रसाद ने कहा, "इसके अलावा, मोटापा फेफड़ों के कार्य और ऑक्सीजनेशन पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, इससे श्वसन रिकवरी बाधित हो सकती है। इसके अलावा तनाव और अवसाद सहित मोटापे का मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक प्रभाव दीर्घकालिक लक्षणों में योगदान कर सकता है।"
पीएलओएस ग्लोबल हेल्थ में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन से पता चला है कि जिन महिलाओं का वजन अधिक है, उनमें लॉन्ग कोविड विकसित होने का खतरा सबसे ज्यादा है।
विशेषज्ञों ने कहा कि मोटापे और लंबे समय तक रहने वाले कोविड के बीच संबंध को समझना प्रभावी उपचार रणनीतियों को तैयार करने और व्यक्तियों, विशेष रूप से मोटापे से ग्रस्त महिलाओं, जिन्हें लंबी बीमारी का अधिक खतरा हो सकता है, को उचित सहायता प्रदान करने में महत्वपूर्ण है।
इस बात के बढ़ते सबूत हैं कि वजन घटाने से लंबे समय तक चलने वाले कोविड लक्षणों के प्रबंधन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
डॉ. सिंह ने कहा, "वजन कम करने से कई तरह से मदद मिलेगी, क्योंकि यह सूजन को कम करता है, शारीरिक सहनशक्ति, श्वसन कार्यों को बढ़ावा देता है और व्यक्ति को शारीरिक गतिविधियों की सीमा में सुधार में सहायक होता है।"
डॉ. प्रसाद ने आईएएनएस को बताया, "वजन कम करने से, व्यक्तियों को सुधार का अनुभव हो सकता है, इससे लंबे समय तक रहने वाले कोविड से जुड़े़ लक्षण, जैसे थकान, सांस की तकलीफ और जोड़ों का दर्द कम हो सकता है।"
उन्होंने कहा, “इसके अलावा, वजन घटाने से हृदय स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जो विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि लंबे समय तक कोविड हृदय संबंधी जटिलताओं के बढ़ते जोखिम से जुड़ा रहा है।”
हालांकि, विशेषज्ञों ने "स्वस्थ और टिकाऊ तरीके से वजन घटाने, संतुलित आहार, नियमित शारीरिक गतिविधि और समग्र कल्याण सुनिश्चित करने और लंबे समय तक रहने वाले कोविड लक्षणों के प्रबंधन को अनुकूलित करने के लिए पेशेवर मार्गदर्शन" की आवश्यकता पर जोर दिया।
--आईएएनएस
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