नई दिल्ली, 13 अगस्त (आईएएनएस)। कांग्रेस सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने लोकसभा में पेश तीन विधेयकों पर न्यायाधीशों, वकीलों, न्यायविदों, अपराधविदों, सुधारकों, हितधारकों और आम जनता के बीच चर्चा कराने की रविवार को मांग की।गृह मंत्री अमित शाह ने 11 अगस्त को मानसून सत्र के अंतिम दिन - भारतीय न्याय संहिता विधेयक, 2023 जो भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), 1860 का स्थान लेगा; भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक जो आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), 1973 की जगह नया अधिनियम बनेगा; और भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 जो भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 182 को प्रतिस्थापित करेगा - लोकसभा में पेश किया।
सुरजेवाला ने भाजपा सरकार पर हमला करते हुए कहा, "11 अगस्त को किसी पूर्व सूचना या सार्वजनिक परामर्श या कानूनी विशेषज्ञों, न्यायविदों, अपराधविदों, अन्य हितधारकों से सुझाव आमंत्रित किए बिना (नरेंद्र) मोदी सरकार ने गुप्त और अपारदर्शी तरीके से अपनी 'काली जादू टोपी' से तीन विधेयक निकाले, जिससे देश के संपूर्ण आपराधिक कानून का पुनर्गठन होगा।”
कांग्रेस सांसद ने कहा, "अमित शाह की (लोकसभा में) प्रारंभिक टिप्पणियों ने इस तथ्य को उजागर कर दिया कि वह खुद मुश्किल हालात में, पूरी प्रक्रिया से अनभिज्ञ और अनजान हैं। कुछ श्रेय लेने और हताशा में अंक हासिल करने के अलावा, सार्वजनिक चकाचौंध या हितधारकों के सुझावों और ज्ञान से दूर एक छिपी हुई कवायद, देश के आपराधिक कानून ढांचे में सुधार के सार्वजनिक उद्देश्य को पूरा नहीं कर सकती है।''
उन्होंने कहा, “विधेयकों को संसद की प्रवर समिति को भेजा गया है, जबकि विधेयकों और इसके प्रावधानों को न्यायाधीशों, वकीलों, न्यायविदों, अपराधशास्त्रियों, सुधारकों, हितधारकों और आम जनता द्वारा बड़ी सार्वजनिक बहस के लिए खुला रखा जाना चाहिए ताकि इससे बचा जा सके। बिना चर्चा के पूरे आपराधिक कानून ढांचे पर बुलडोजर चलाने का जाल भाजपा सरकार के डीएनए में बस गया है। हमें उम्मीद है कि बेहतर समझ कायम होगी।”
तीनों विधेयकों का जिक्र करते हुए गृह मंत्री ने कहा था कि पहले के कानूनों ने ब्रिटिश शासन को मजबूत किया था, जबकि प्रस्तावित कानून नागरिकों के अधिकार की रक्षा करेंगे और लोगों को त्वरित न्याय देंगे।
--आईएएनएस
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