नोएडा, 19 अक्टूबर (आईएएनएस)। गौतमबुद्ध नगर जिले में हर कोई अपना एक सपनों का घर बनाना चाहता है और इसके लिए लोग अपने जीवन भर की जमा पूंजी बिल्डर के हाथों में सौंप देते हैं। कुछ लाखों में देते हैं, कुछ करोड़ों में देते हैं, लेकिन लंबे वक्त तक इंतजार के अलावा लोगों को कुछ भी हासिल नहीं हुआ है। सबसे बड़ी बात है कि जिस तरीके से बिल्डर यहां पर लगातार डिफॉल्टर और एनसीएलटी में जाकर खुद को दिवालिया घोषित करते जा रहे हैं उससे यह लगता है कि कहीं ना कहीं आने वाले समय में लोगों का इंतजार और भी लंबा होने वाला है। आज ऐसे ही कुछ प्रोजेक्ट के बारे में हम आपको बताएंगे जो एनसीएलटी में जा चुके हैं और उन पर आईआरपी भी अप्वॉइंट हो चुका है। लेकिन लोगों का इंतजार अभी लंबा है।
सबसे पहले हम शुरूआत करते हैं जेपी इंफ्रा लिमिटेड की। जो गौतमबुद्ध नगर का सबसे बड़ा जमीन विक्रेता माना जाता था। यह हम इसलिए बता रहे हैं क्योंकि जेपी की अगर बात की जाए तो अकेले जेपी के सभी प्रोजेक्ट को मिला दिया जाए तो लगभग 50,000 यूनिट अकेले जेपी ग्रुप ही लोगों के लिए तैयार कर रहा था। चाहे वह जेपी अमन हो, चाहे जेपी विश टाउन, चाहे वह यमुना एक्सप्रेस वे के किनारे जेपी की स्पोर्ट सिटी हो। सभी में जेपी लोगों को एक ऐसी सिटी देने का वादा करता है जो उनकी कल्पना से परे है। शुरूआत तो तेज हुई लेकिन जेपी के सभी प्रोजेक्ट लगभग बीच में ही अटक गए।
ठीक ऐसे ही है अम्रपाली ग्रुप, जिसमें लगभग 43,000 यूनिट लोगों के लिए तैयार किए जाने थे। आज एनसीएलटी में जाने के बाद उस पर अप्वॉइंट आईआरपी जल्द से जल्द उसका काम खत्म करा कर लोगों को उनके फ्लैट डिलीवर कर आने में लगा हुआ है। इसके साथ ही साथ सुपरटेक लिमिटेड। इस बिल्डर को हम बिल्कुल भी नहीं छोड़ सकते, क्योंकि ट्विन टावर का मामला अभी सबके जहन में बिल्कुल ताजा है। इस बिल्डर ने भी 25,000 से ज्यादा यूनिट्स समय पर लोगों को डिलीवर करने का वादा किया था। इसके साथ ही साथ एयरविल जिसमें 3000 यूनिट्स, आरजी ग्रुप जिसमें 1900 यूनिट, लोटस ग्रुप जिसमें 4200 यूनिट्स और लोटस बुलेवर्ड जिसमें 3300 आज भी लोगों को डिलीवर किए जाने बाकी हैं।
इन सभी प्रोजेक्ट पर आईआरपी अप्वॉइंट कर दिए गए हैं। इन आईआरपी की मदद से लोगों को एक उम्मीद जगी जरूर है कि उन्हें जल्द से जल्द अपने सपनों का घर मिल सकेगा। फिलहाल काम भी होता दिखाई दे रहा है, लेकिन इंतजार कितना लंबा है यह कह पाना अभी काफी मुश्किल है।
--आईएएनएस
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