मुंबई, 28 नवंबर (आईएएनएस)। कांग्रेस ने मंगलवार को पिछले कुछ दिनों में राज्य के बड़े हिस्से में हुई बेमौसम बारिश के कारण फसल के गंभीर नुकसान से जूझ रहे लाखों किसानों के लिए तत्काल सहायता की मांग की।राज्य कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले और विपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से किसानों को तत्काल राहत के रूप में गैर-सिंचित फसलों के लिए 25,000 रुपये प्रति एकड़ और सिंचित फसलों के लिए 50,000 रुपये प्रति एकड़ की तत्काल सहायता देने का आह्वान किया है।
विजय वडेट्टीवार ने पत्रकारों को बताया कि राज्य के कई क्षेत्रों में हुई भारी बारिश और ओलावृष्टि के कारण 1,00,000 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर खड़ी फसलें बर्बाद हो गई हैं, जिससे रबी फसल सीजन की व्यवहार्यता पर बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं।
इसी तरह, मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कांग्रेस नेता नाना पटोले ने बताया कि इस साल किसान एक के बाद एक संकट से जूझते हुए प्रकृति के प्रकोप का शिकार हो रहे हैं। जहां लंबे समय तक सूखे के कारण खरीफ (मानसून) का मौसम खत्म हो गया, वहीं बेमौसम बारिश के कारण रबी (सर्दियों) का मौसम व्यावहारिक रूप से खत्म हो गया।
कांग्रेस नेता ने पत्र में कहा, ''35 में से 17 जिलों के किसानों की पूरे साल की फसल बर्बाद हो गई है, जिससे सबसे ज्यादा नुकसान कपास, सोयाबीन, गन्ना, अरहर, प्याज, आलू, मक्का, धान, गेहूं, अंगूर, आम, अनार, पपीता, केला और संतरा, इसके अलावा सभी प्रकार की सब्जियां को हुआ है।''
वहीं विजय वडेट्टीवार ने राज्य के कुछ हिस्सों में 'सूखा' घोषित करने में देरी का आरोप लगाते हुए सरकार पर तंज कसा। उन्होंने मांग की कि शासन को कृषक समुदाय के हित में मौजूदा नुकसान की घोषणा को लंबा नहीं खींचना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि सरकार यह दावा करके गुमराह कर रही है कि उसने केंद्र से 2,500 करोड़ रुपये की सहायता मांगी है। फिर राज्य के किसानों का संरक्षक कौन है? स्थिति इस स्तर पर आ गई है कि किसान कर्ज से छुटकारा पाने के लिए अपने शरीर के अंगों को बेचने की पेशकश कर रहे हैं।
पटोले और वडेट्टीवार ने यह भी कहा कि फसल बीमा कंपनियों को प्राथमिकता के आधार पर किसानों को मुआवजा वितरण में तेजी लानी चाहिए।
वडेट्टीवार ने पूछा, "फसल बीमा कंपनियों को 7,000 करोड़ रुपये दिए गए, कृषि मंत्री कह रहे हैं कि ये कंपनियां 1,800 करोड़ रुपये प्रदान करेंगी, तो बाकी पैसा कहां जा रहा है?"
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि सरकार को देश के जीवनदाता किसानों को नहीं त्यागना चाहिए और जब वे अस्तित्व के संकट का सामना कर रहे हैं तो यह उनकी मदद करने का समय है।
--आईएएनएस
एफजेड/एबीएम