हाथरस, 9 जुलाई (आईएएनएस)। हाथरस के सिकंदराराऊ में बीते दिनों सत्संग के दौरान मची भगदड़ में 121 लोगों की मौत और बड़ी संख्या में घायलों की जांच के लिए गठित एसआईटी की रिपोर्ट आग गई है। इसमें बड़े अधिकारियों को दोषी ठहराया गया है, लेकिन रिपोर्ट में भोले बाबा का नाम नहीं है। एसआईटी की रिपोर्ट में भोले बाबा के नाम का जिक्र नहीं किए जाने पर पीड़ित परिवारों में गुस्सा है। एक मृतक महिला के बेटे विनोद कुमार ने कहा कि हम एसआईटी जांच से संतुष्ट नहीं हैं। हम इस घटना के लिए बाबा और वहां मौजूद कर्मचारियों को दोषी मानते हैं। हादसे के बाद भी बाबा वापस नहीं लौटे और उन्होंने किसी भी परिवार का हाल नहीं जाना। जिन छह अधिकारियों पर कार्रवाई की गई है, वह सिर्फ लीपापोती के लिए किया गया है। शासन-प्रशासन की बाबा के साथ मिलीभगत है। इसलिए बाबा के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
वहीं, एक महिला ने कहा कि हम एसआईटी जांच से खुश नहीं है। हम सिर्फ इंसाफ चाहते हैं और इस तरह के पाखंड पर रोक लगाने की मांग करते हैं। इस घटना के बाद न तो बाबा ने किसी तरह की मदद की, न ही उनका कोई कर्मचारी पीड़ित परिवारों से मिलने आया। हमारी सरकार से सिर्फ इतनी ही मांग है कि बाबा को गिरफ्तार कर हमें इंसाफ दिलाया जाए।
उधर, एक अन्य महिला ने कहा कि बाबा की गिरफ्तारी होनी चाहिए और उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। एफआईआर में बाबा का नाम नहीं होने का सबसे अधिक दुख है, क्योंकि इतना बड़ा हादसा हो गया और अब तक बाबा के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई। उन्होंने आगे कहा कि हम पाखंडी बाबा का बहिष्कार करते हैं और किसी भी तरह के सत्संग का आयोजन नहीं होना चाहिए।
वहीं, कुछ परिवारों ने एसआईटी जांच में बाबा का नाम न होने पर खुशी जताई है। उनका कहना है कि सारी जिम्मेदारी प्रशासन की थी, इसमें बाबा का कोई हाथ नहीं था। वही, एक परिवार का कहना है कि बाबा को इतना बड़ा हादसा होने के बाद रुकना चाहिए था और जानना चाहिए था कि कितने भक्तों की मौत हुई और कितने घायल हुए। सरकार से अब तक सिर्फ दो लाख रुपए की मदद मिली है।
--आईएएनएस
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