मुंबई, 28 जून (आईएएनएस)। भारतीय बॉन्ड या सरकारी बॉन्ड को शुक्रवार से जेपी मॉर्गन इमर्जिंग मार्केट्स बॉन्ड इंडेक्स में शामिल किया जाएगा। इस इंडेक्स में भारतीय बॉन्ड का शामिल होना काफी अहम माना जा रहा है। पहली बार इस इंडेक्स में भारतीय बॉन्ड शामिल होंगे और इसे पूरी दुनिया में ट्रैक किया जाता है।जेपी मॉर्गन इमर्जिंग मार्केट्स बॉन्ड इंडेक्स में भारतीय बॉन्ड का वेटेज 10 प्रतिशत होगा। भारत के सरकारी बॉन्ड के वेटेज को धीरे-धीरे चरणबद्ध तरीके से 28 जून, 2024 से लेकर 31 मार्च, 2025 तक यानी 10 महीने में एक-एक प्रतिशत कर इस इंडेक्स में बढ़ाया जाएगा।
एचएसबीसी (NYSE:HSBC) होल्डिंग्स के मुताबिक, गवर्नमेंट बॉन्ड इंडेक्स-इमर्जिंग मार्केट्स (जीबीआई -ईएम) में शामिल होने से भारत में 30 अरब डॉलर का फंड इनफ्लो देखने को मिल सकता है।
जेपी मॉर्गन की ओर से सितंबर 2023 में भारतीय बॉन्ड्स को जीबीआई-ईएम में शामिल करने का ऐलान किया गया था, तब से लेकर अब तक 10 अरब डॉलर से ज्यादा का इनफ्लो भारतीय बॉन्ड में आ चुका है। जीबीआई-ईएम में शामिल होने से भारतीय अर्थव्यवस्था पर कई सकारात्मक प्रभाव होंगे। गवर्नमेंट बॉन्ड इंडेक्स-इमर्जिंग मार्केट्स में शामिल होने से विदेशी निवेश में तेजी आएगी। विदेशी निवेश आने से भारत के सरकारी बॉन्ड की मांग बढ़ेगी। इससे भारतीय बॉन्ड मार्केट का आकार बढ़ेगा। साथ ही लिक्विडिटी और एफिशिएंसी में भी इजाफा होगा।
अब तक केवल बैंक, इंश्योरेंस कंपनियां और म्यूचुअल फंड ही सरकारी बॉन्ड में बड़े निवेशक रहे हैं। ऐसे में ग्लोबल इंडेक्स में शामिल होने पर बड़ी मात्रा में ग्लोबल फंड भारत आएगा। इससे बॉन्ड यील्ड कम होगी। इससे सरकार के लिए कर्ज की लागत भी कम हो जाएगी। इससे राजकोषीय घाटा कम होने की उम्मीद है। वहीं, विदेशी निवेश आने से रुपये की मांग बढ़ेगी और ऐसे में आने वाले समय में रुपया मजबूत रह सकता है।
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