iGrain India - नई दिल्ली । यूरोपीय संघ में बासमती चावल के लिए भौगोलिक संकेतक (जीआई) टैग हासिल करने हेतु भारत और पाकिस्तान-दोनों ने दावे किए हैं।
पहले ऐसा प्रतीत हो रहा था कि भारत से मोल भाव करने के उद्देश्य से यूरोपीय आयोग ने पाकिस्तान के आवेदन को स्वीकार किया है।
अब उसने पाकिस्तान के आग्रह को एक अन्य क्लॉज के तहत दोबारा प्रकाशित करके संकेत दिया है कि जीआई टैग प्राप्त करने के लिए भारत का दावा पाकिस्तान से ज्यादा मजबूत है।
विश्लेषकों के मुताबिक नवीनतम घटनाक्रम से पता चलता है कि यूरोपीय संघ भारत को बासमती चावल का एक मात्रा अधिकारी (मालिक) मानने को सैद्धांतिक रूप से तैयार हो गया है।
पाकिस्तान के आवेदन को पहले 23 फरवरी 2024 को ईयू रेग्युलेशन के आर्टिकल 50 (2) के अंतर्गत प्रकाशित किया गया था मगर 30 अप्रैल को उसे वहां से हटाकर ईयू रेग्युलेशन के आर्टिकल 49 (5) में अंतर्गत दोबारा प्रकाशित किया गया जिससे पाकिस्तान का दावा कमजोर पड़ गया।
एक अग्रणी विश्लेषक के अनुसार पाकिस्तान के आवेदन को दोबारा प्रकाशित करण इस वास्तविकता का संकेत है कि भारत स्पष्ट रूप से बासमती चावल का एकल स्वामी है।
भारत का आवेदन जुलाई 2018 में ही ईयू के पास जमा हो गया था जिसे ईयू रेग्युलेशन के आर्टिकल 50 (2) में सूचीबद्ध किया गया।
लम्बे समय के बाद जब पाकिस्तान ने जीआई टैग का दावा करते हुए आवेदन दिया तब उसे भी भारत के समकक्ष मानते हुए आर्टिकल 50 (2) में सूचीबद्ध किया गया।
लेकिन अब उस आवेदन को आर्टिकल 49 (5) में दोबारा प्रकाशित करके ईयू ने एक सप्ताह से सिर्फ भारतीय दावे को स्वीकार करने का संकेत दिया है।
पाकिस्तान को इससे भारी झटका लग सकता है। आर्टिकल 49 (5) में कहा गया है कि जिस उत्पाद के लिए जीआई टैग मांगा गया है उसकी सुरक्षा मूल उद्गम देश में ही की जानी चाहिए।