नई दिल्ली, 21 मार्च (आईएएनएस)। इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चंदा और साथ ही पार्टी का बैंक खाता फ्रीज किए जाने की बात को लेकर कांग्रेस पार्टी की तरफ से प्रेस कांफ्रेंस कर सवाल उठाया गया और इसका भाजपा की तरफ से भी जवाब दिया गया। दरअसल, इस प्रेस कांफ्रेंस के जरिए भाजपा पर निशाना साधते हुए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि यह चिंता का विषय है कि एक ओर कांग्रेस के बैंक खाते फ्रीज कर दिए गए और दूसरी तरफ अवैध तरीके से करोड़ों-अरबों की संपत्ति अर्जित करने वाली भाजपा पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
इसको लेकर भाजपा की तरफ से कहा गया कि कांग्रेस इनकम टैक्स विभाग को बदनाम कर रही है और उनके सुस्त रवैये की वजह से जो कार्रवाई हुई है, उसे प्रतिशोध बता रही है। भाजपा की तरफ से कहा गया कि कांग्रेस पार्टी अपने आप को देश के कानून से ऊपर मानती है।
इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चंदा लेने के बाद कांग्रेस इस मामले में पवित्रता का ढोंग रच रही है। चुनावी बॉन्ड के माध्यम से कांग्रेस को 1,422 करोड़ रुपये मिले हैं। इससे पहले 2012 में कांग्रेस सबसे ज्यादा चंदा पाने वाली और अमीर पार्टी थी, तब बीजेपी या अन्य पार्टियों को इतना चंदा भी नहीं मिलता था।
अभी कांग्रेस के मात्र 9 प्रतिशत सांसद होने के बावजूद उनकी पार्टी को 1,400 करोड़ रुपये के बॉन्ड मिले हैं। जबकि, भाजपा के सांसद 55 प्रतिशत हैं और उन्हें 6 हजार करोड़ रुपये बॉन्ड के रूप में मिले हैं। अभी भाजपा के पास देशभर में 300 से अधिक लोकसभा सांसद हैं, इसके साथ ही कई राज्यों में पार्टी की सरकार है। ऐसे में इस अनुपात में भाजपा को चुनावी चंदा प्राप्त हुआ है।
ऐसे में जब कांग्रेस दावा कर रही है कि भाजपा ने चुनावी बॉन्ड के माध्यम से गलत तरीके के चंदा प्राप्त किया है तो यह दावा एकदम गलत है। क्योंकि पार्टी को देश में बढ़ती ताकत और प्रसार की वजह से चंदा प्राप्त हुआ है। कांग्रेस इस चंदे को लेकर किसी तरह से भाजपा को कटघरे में खड़ा नहीं कर सकती है क्योंकि कांग्रेस ने खुद ही पिछले कुछ वर्षों से चुनावी बॉन्ड के माध्यम से खुशी-खुशी चंदा स्वीकार किया है।
इसके साथ ही कांग्रेस बार-बार पार्टी का अकाउंट फ्रीज होने को लेकर झूठ बोल रही है।
दरअसल, आयकर विभाग ने 16 फरवरी को आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (आईटीएटी) को बताया था कि उसने कांग्रेस के बैंक खातों को फ्रीज करने के लिए बैंकों को कोई आदेश जारी नहीं किया है। एक राजनीतिक दल को हर साल अपना टैक्स रिटर्न फाइल करना होता है। कांग्रेस ने अपना टैक्स रिटर्न फाइल नहीं किया इसलिए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने उन्हें नोटिस भेजा। आयकर विभाग ने 210 करोड़ रुपए की डिमांड जेनरेट की है। इसी टैक्स डिमांड को आईटीएटी में कांग्रेस ने चुनौती दी है, जिस पर आईटीएटी ने शुरुआती सुनवाई करते हुए कांग्रेस को अकाउंट में मामले में फैसला आने तक 115 करोड़ रुपए मेंटेन करने का ऑर्डर दिया। इस पर मामला अदालत में भी चल रहा है।
कांग्रेस का कहना है कि उन्हें सीताराम केसरी के समय के लिए नोटिस भेजा गया है। कांग्रेस ने अपने पूर्व अध्यक्ष सीताराम केसरी का नाम सामने तो लाया लेकिन, उसे याद रखना चाहिए कि उस समय उसने अपनी पार्टी प्रमुख के साथ कैसा व्यवहार किया था। केसरी इस भ्रष्टाचार के शायद खिलाफ थे, इसलिए उस समय उन्हें बेइज्जत किया गया और पार्टी से बाहर निकाला गया ताकि सोनिया गांधी को अध्यक्ष बनाया जा सके।
कांग्रेस नेताओं की तरफ से प्लानिंग के तहत सीताराम केसरी को हटाने के लिए बैठक की गई थी। इसके बाद केसरी को नई दिल्ली में 24, अकबर रोड पर पार्टी की बैठक में आमंत्रित किया गया था। जब वह बैठक में पहुंचे तो तारिक अनवर को छोड़कर पार्टी का कोई भी सदस्य उनके अभिनंदन के लिए खड़ा तक नहीं हुआ। इसके बाद सीताराम केसरी को कमरे में तब तक बंद करके रखा गया, जब तक पार्टी के अध्यक्ष के रूप में सोनिया गांधी के नाम की घोषणा नहीं हो गई।
फिर, जब सीताराम केसरी वहां से निकलने के बाद अपनी कार में बैठने वाले थे तो कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने उनकी धोती खींचने की कोशिश की। केसरी वहां से निकले तो उनकी नेम प्लेट फाड़ दी गई और उसकी जगह पर 'सोनिया गांधी' का नेम प्लेट लगा दिया गया।
--आईएएनएस
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