हैदराबाद, 27 सितंबर (आईएएनएस)। तेलंगाना में सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) ने मंगलवार को 'एक राष्ट्र एक चुनाव' को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 'ध्यान भटकाने वाला हथकंडा' करार दिया और कहा कि अगर वह इस मुद्दे के प्रति ईमानदार होते तो हाल ही में बुलाए गए विशेष संसद सत्र में इस पर एक विधेयक ला सकते थे।बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष के. टी. रामाराव ने मोदी को ध्यान भटकाने की राजनीति में माहिर बताया।
उन्होंने एक समाचार एजेंसी को बताया, "प्रधानमंत्री मोदी स्वतंत्र भारत के सबसे अक्षम, अयोग्य प्रधानमंत्री और शायद सबसे भ्रष्ट प्रधानमंत्री हैं। इसलिए लोगों का ध्यान भटकाने के लिए वह हर तरह के हथकंडे अपनाते रहते हैं।"
बीआरएस नेता ने कहा कि मोदी के शासन में स्वतंत्र भारत में पहली बार रुपये का मूल्य इतना गिरा है, मुद्रास्फीति उच्चतम स्तर पर चली गई है और बेरोजगारी दर चरम पर पहुंच गई है। उन्होंने कहा कि मोदी भारत के लोगों से किए सभी वादों पर बुरी तरह विफल रहे।
केटीआर ने तेलंगाना राज्य और इसकी गठन प्रक्रिया पर बार-बार दिए गए बयानों के लिए प्रधानमंत्री पर हमला बोला। संसद में मोदी की हालिया टिप्पणियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह पहला उदाहरण नहीं है, जब पीएम ने तेलंगाना गठन के बारे में अपमानजनक टिप्पणी की है, और यह ऐतिहासिक तथ्यों के प्रति उनकी घोर उपेक्षा को दर्शाता है।
"राज्य प्राप्ति की यात्रा दशकों से अनगिनत बलिदानों और संघर्षों का परिणाम है।"
उन्होंने कहा, "यह सुझाव देना कि तेलंगाना ने अपने राज्य गठन का जश्न नहीं मनाया, न केवल तथ्यात्मक रूप से गलत है, बल्कि अज्ञानी और अहंकारी भी लगता है।"
केटीआर ने कहा कि पीएम मोदी ने संसद के अंदर और कई अन्य मौकों पर भी इसी तरह के बयान दिए, जिससे तेलंगाना के लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंची है और दावा किया कि प्रधानमंत्री और भाजपा को तेलंगाना से नफरत है।
उन्होंने यह भी कहा कि पीएम मोदी को तेलंगाना के लोगों की भावनाओं का लगातार अपमान करने के लिए उनसे माफी मांगनी चाहिए।
प्रधानमंत्री 1 अक्टूबर को तेलंगाना पहुंचेंगे, इस पर केटीआर ने कहा कि वह सिर्फ वोट मांगने आ रहे हैं।
मोदी के दौरे से पहले बीआरएस नेताओं ने उनसे कई सवाल पूछे। केटीआर ने इस बात पर प्रकाश डाला कि मोदी सरकार ने एपी पुनर्गठन अधिनियम 2014 में किए गए वादों का सम्मान नहीं किया।
उन्होंने कहा, "जब भी वे तेलंगाना आए, खाली हाथ आए और उन्हें खाली हाथ वापस जाने के लिए तैयार रहना चाहिए।"
मोदी की आगामी महबूबनगर यात्रा पर बीआरएस नेता ने कहा कि उन्होंने उस क्षेत्र के लोगों के साथ जो अन्याय किया है, उसके लिए उन्हें महबूबनगर में पैर रखने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने याद दिलाया कि कैसे 2014 में सरकार बनाने के एक महीने के भीतर सीएम केसीआर नई दिल्ली में प्रधानमंत्री के पास पहुंचे और कालेश्वरम परियोजना या पलामुरू लिफ्ट सिंचाई योजना (पीएलआईएस) को राष्ट्रीय दर्जा देने का अनुरोध किया था।
केटीआर ने कहा, "उन्होंने कर्नाटक में ऊपरी भद्रा और आंध्र प्रदेश में पोलावरम को राष्ट्रीय दर्जा दिया, लेकिन पलामुरू परियोजना को नजरअंदाज कर दिया।" उन्होंने कहा कि मोदी सरकार को कृष्णा जल विवाद को सुलझाने में कभी दिलचस्पी नहीं थी, जो तेलंगाना के साथ बहुत बड़ा अन्याय था। उन्होंने कहा, कम से कम अब, पीएम को पलामुरू परियोजना को राष्ट्रीय दर्जा देने की घोषणा करनी चाहिए।
--आईएएनएस
एसजीके