नई दिल्ली, 9 नवंबर (आईएएनएस)। पिछले चार साल से लंबित एकमुश्त स्पेक्ट्रम चार्ज (ओटीएससी) मामले पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी।दूरसंचार ऑपरेटरों के साथ-साथ दूरसंचार विभाग (डीओटी) दोनों के अनुरोधों को स्वीकार करते हुए, सुप्रीम कोर्ट द्वारा 19 स्थगन और विभिन्न अवसर प्रदान किए गए हैं, और इस मामले में अंतिम सुनवाई लगभग चार वर्षों से लंबित है।
इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति एमआर शाह की अध्यक्षता वाली पीठ करेगी, जो तत्कालीन न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली एजीआर पीठ का हिस्सा थे। ऑपरेटरों पर कुल ओटीएससी देनदारी 25,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। व्यक्तिगत रूप से, एयरटेल और वोडाफोन आइडिया (NS:VODA) का क्रमश: 9,000 करोड़ रुपये और 11,000 करोड़ रुपये का निवेश है।
रिलायंस (NS:RELI) कम्युनिकेशंस (आरकॉम) और टाटा टेलीसर्विसेज (टीटीएसएल) पर ओटीएससी की देनदारी क्रमश: 2,000 करोड़ रुपये और 1,800 करोड़ रुपये है। अंतिम सुनवाई की तारीख 1 नवंबर, 2022 थी, लेकिन सॉलिसिटर जनरल की अनुपलब्धता के कारण इस पर सुनवाई नहीं हो सकी। अब मामले की अंतिम सुनवाई गुरुवार को तय की गई है।
2012-2013 में, डीओटी ने विभिन्न दूरसंचार ऑपरेटरों पर ओटीएससी की राशि 40,000 करोड़ रुपये की मांग उठाई थी। दूरसंचार विवाद निपटान और अपीलीय न्यायाधिकरण (टीडीसैट) ने फरवरी 2019 में पारित अपने आदेश में इस तरह की मांगों को अवैध बताते हुए आंशिक रूप से खारिज कर दिया।
टीडीसैट के आदेश के खिलाफ डीओटी द्वारा दायर एक अपील पर, सुप्रीम कोर्ट ने 19 अगस्त, 2019 को अपने आदेश में, डीओटी की अपील को स्वीकार कर लिया और टीडीएसएटी के आदेश पर भी रोक लगा दी, लेकिन सरकार की अपील लगभग चार वर्षों से लंबित है।
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