आदित्य रघुनाथ द्वारा
Investing.com -- जुलाई में आई गिरावट के बाद पिछले तीन हफ्तों से भारत में बेरोजगारी बढ़ रही है। 18 जुलाई को समाप्त सप्ताह के 5.98% से, 25 जुलाई को समाप्त सप्ताह के लिए यह बढ़कर 7.14% हो गया, फिर 1 अगस्त को समाप्त सप्ताह के लिए 7.44% और अंत में 8.1% हो गया। यह सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के आंकड़ों के मुताबिक है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने जुलाई में 16 मिलियन नौकरियां जोड़ीं, लेकिन वे सभी निम्न गुणवत्ता वाली थीं। वेबसाइट कहती है, “18.6 मिलियन अतिरिक्त लोग छोटे व्यापारियों और दिहाड़ी मजदूरों के रूप में कार्यरत थे। इनमें से अधिकांश कृषि में लगे हुए थे जहां 11.2 मिलियन अतिरिक्त लोगों को रोजगार मिला था।"
वेतनभोगी नौकरियां, जो ज्यादातर बेहतर गुणवत्ता वाली नौकरियां हैं, उसी महीने में 3.2 मिलियन तक गिर गई।
सीएमआईई का उपभोक्ता पिरामिड घरेलू सर्वेक्षण (सीपीएचएस) रिवर्स माइग्रेशन का डेटा रिकॉर्ड कर रहा है। इसमें कहा गया है कि मजदूर कारखानों से खेत की ओर पलायन कर रहे हैं। सरकार का आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) उसी को दर्शाता है। नवीनतम पीएलएफएस रिपोर्ट 2018-19 में कृषि में रोजगार में कुल रोजगार के 42.5% से बढ़कर 2019-20 में 45.6% हो गई है।
सीएमआईई का कहना है, “कृषि के पक्ष में श्रम का इतना बड़ा बदलाव स्वैच्छिक नहीं हो सकता। यह श्रम बाजार में संकट का संकेत है जहां गैर-कृषि क्षेत्र रोजगार प्रदान करने में असमर्थ हैं और श्रम को कृषि में स्थानांतरित करने के लिए मजबूर किया जाता है।