नई दिल्ली, 2 दिसंबर (आईएएनएस)। भारत की दूसरी तिमाही की जीडीपी वृद्धि में गिरावट को अस्थायी माना जा रहा है। उद्योग विशेषज्ञों के अनुसार, जीडीपी वृद्धि में यह गिरावट मौसमी मानसून के प्रभाव और चुनाव संबंधी कारकों की वजह से रही।जानकारों का कहना है कि वित्त वर्ष 2025 की जनवरी-मार्च अवधि तक इसमें सुधार आना शुरू हो जाना चाहिए। वहीं, इक्विटी बाजारों के लिए, इस डेटा का कोई खास प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं देखी जा रही।
ओमनीसाइंस कैपिटल के सीईओ और मुख्य निवेश रणनीतिकार डॉ. विकास गुप्ता ने कहा, "मार्केट सेंटीमेंट में किसी भी तरह का शॉर्ट-टर्म डिप सरप्लस फंड वाले निवेशकों के लिए लॉन्ग-टर्म पॉजिशन बनाने का अवसर ला सकता है क्योंकि प्रमुख खपत और सेवा क्षेत्रों में मजबूती देखी जा रही है।"
निजी खपत में 6 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो जीडीपी वृद्धि दर और वित्त वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही में दर्ज 2.6 प्रतिशत दोनों से काफी अधिक है। जिन्हें डेटा में सकारात्मक संकेत माना जा रहा है।
डॉ. विकास गुप्ता ने आगे कहा, "निजी खपत में कमजोरी के बारे में हाल की चिंताएं दूर हो गई हैं। सरकारी खपत में पिछली तिमाही से सुधार हुआ है, लेकिन पिछले साल की समान अवधि की तुलना में यह कम है, जो चुनावों से पहले खर्च को लेकर बरती गई सतर्कता को दिखाता है।"
प्राथमिक सेक्टर ने मामूली जीवीए वृद्धि के साथ स्थिरता दिखाई, हालांकि खनन मानसून से प्रभावित हुआ।
द्वितीयक सेक्टर में, निर्माण क्षेत्र ने मजबूत प्रदर्शन जारी रखा।
सबसे खास बात तृतीयक क्षेत्र रहा, जिसने 7.1 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि दर्ज की, जो निजी और सरकारी खपत के लचीलेपन को दर्शाता है।
बैंक ऑफ बड़ौदा (NS:BOB) की अर्थशास्त्री जाह्नवी प्रभाकर के अनुसार, नरमी के बावजूद, निजी खपत ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 6 प्रतिशत की शानदार वृद्धि दर्ज की, जो वित्त वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही में 2.6 प्रतिशत थी।
अनुकूल मानसून और उच्च खरीफ उत्पादन के समर्थन से, कृषि क्षेत्र ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 3.5 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि दिखाई, जबकि वित्त वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही में 1.7 प्रतिशत थी।
प्रभाकर ने कहा, "सरकारी और निजी पूंजीगत व्यय, मजबूत कृषि विकास और उपभोग मांग में उछाल के कारण वित्त वर्ष 2025 की दूसरी छमाही में तेज उछाल की उम्मीद है, वित्त वर्ष 2025 के लिए जीडीपी वृद्धि 6.6-6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है।"
रियल एस्टेट की मांग स्थिर बनी हुई है। रियल एस्टेट बाजार के प्रति खरीदार की रुचि और डेवलपर की भावना दोनों स्थिर बनी हुई है।
--आईएएनएस
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