iGrain India - नई दिल्ली । खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) द्वारा 5 जुलाई को जो चावल की पहली ई-नीलामी आयोजित की गई उसमें खरीदारों ने बहुत कम या नगण्य दिलचस्पी दिखाई।
इसे देखते हुए सरकार ने कहा है कि चावल के खुले बाजार बिक्री नीति को दुरुस्त करने के लिए तैयार है और आवश्यकतानुसार इसमें एहतियाती संशोधन- परिवर्तन किया जा सकता है।
सरकार का कहना है कि हो सकता है कि पहली नीलामी होने के कारण इसमें अधिक संख्या में खरीदारों ने भाग नहीं लिया और आगमी नीलामियों में उसकी संख्या बढ़ सकती है। नीलामी की प्रक्रिया अगले वर्ष मार्च तक जारी रहेगी।
उधर कर्नाटक सरकार ने शिकायत की है कि केन्द्र ने उसकी अन्न भाग्य गारंटी स्कीम के लिए चावल देने से इंकार कर दिया है। इस पर केन्द्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा कि केन्द्रीय पूल में खाद्यान्न (चावल या गेहूं) का अधिशेष स्टॉक किसी एक राज्य के लिए नहीं बल्कि सभी प्रांतों के लिए होना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि 5 जुलाई को आयोजित ई-नीलामी के तहत करीब 3.80 लाख टन चावल की बिक्री का ऑफर दिया गया था लेकिन इसमें से केवल 170 टन की बिक्री महज पांच बिडर्स को संभव हो सकी।
खाद्य सचिव के अनुसार हाल ही में 17 राज्यों के खाद्य मंत्रियों के साथ एक मीटिंग हुई थी जिसमें केवल एक को छोड़कर बाकी 16 राज्यों के खाद्य मंत्री केन्द्र सरकार की इस नीति से सहमत थे कि खाद्यान्न का ऊंचा बफर स्टॉक रखा जाए जो सभी राज्यों के उपयोग के लिए हो।
खाद्य सचिव के मुताबिक प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के माध्यम से लगभग 360 लाख टन चावल का वितरण किया जाता है जो बिल्कुल मुफ्त होता है।
यदि सभी राज्य केन्द्र द्वारा दिये जाने वाले इस चावल से आगे सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के लिए अतिरिक्त चावल की मांग करना शुरू कर दे तो इसकी मात्रा बढ़कर 720 लाख टन के करीब पहुंच जाएगी।
दूसरी ओर खाद्यान्न का कुल स्टॉक 560-570 लाख टन का ही रहता है। खुले बाजार बिक्री योजना के तहत अनाज बेचने का मुख्य उद्देश्य यह स्पष्ट संकेत देना है कि केन्द्र सरकार के पास खाद्यान्न का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध है।