iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार ने पश्चिम बंगाल में उत्पादित प्रीमियम क्वालिटी के गैर बासमती चावल की पांच किस्मों के लिए ग्रेडिंग एवं मार्केटिंग नियम अधिसूचित किया है जिसमें गोविन्दभोग, तुलाईपांजी, कटारीभोग, कलोनुनिया तथा राधुनीपगल किस्में शामिल हैं।
इस नियम के तहत प्रधिकृत पैकर्स को इस चावल की क्वालिटी के परीक्षण के लिए या तो अपनी प्रयोगशाला स्थापित करनी होगी अथवा किसी अन्य स्वीकृत (मान्य) प्रयोगशाला का उपयोग करना होगा।
ध्यान देने की बात है कि अब तक केवल देश में बासमती चावल की गुणवत्ता जांचने के लिए प्रयोगशाला परीक्षण की आवश्यकता पड़ती थी। यह पहला अवसर है जब गैर बासमती चावल की किसी किस्म के लिए प्रयोगशाला परीक्षण को अनिवार्य किया गया है।
पिछले सप्ताह कृषि मंत्रालय द्वारा जारी एक अधिसूचना के अनुसार घरेलू कारोबार के लिए पैकर्स को एफएसएसएआई (भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण) के मानकों का पालन करना होगा जबकि निर्यात उद्देश्य के लिए उन्हें उस अवशेष सीमा का अनुसरण करने की जरूरत पड़ेगी जो कोडेक्स एलीमेंटेरियस कमीशन (सीएसी) द्वारा अथवा आयातक देशों द्वारा निर्धारित की गई है।
नॉन- बासमती एरोमैटिक राइस ग्रेडिंग एंड मार्केटिंग रूल्स, 2024 को जारी करते हुए कृषि मंत्रालय ने कहा था कि इस नियम से सम्बन्धित आयतियों एवं सुझावों पर अच्छी तरह विचार किया गया है। नियमों का प्रारूप अक्टूबर 2023 में अधिसूचित किया गया था और सभी सम्बद्ध पक्षों को 45 दिनों के अंदर अपनी राय देने के लिए कहा गया था।
मंत्रालय के अनुसार इस नियम को लागू करने का उद्देश्य निर्यात मूलक चावल की शुद्धता सुनिश्चित करना है। अधिसूचना में कहा गया है कि चावल को खाद्य सुरक्षा एवं मानक (पैकेजिंग) मिनियमन 2018, खाद्य सुरक्षा एवं मानक (लेबलिंग तथा डिस्प्ले) मिनियमन 2020 और लीगल मेट्रोलॉजी (पैकेज्ड कमोडिटीज़) रूल्स 2011 के प्रावधानों के अनुरूप उपयुक्त मॅकेजिंग मैटीरियल में ही पैक किया जाएगा।
निर्यात के समय सम्पूर्ण विवरण देना जरुरी होगा। प्रत्येक पैक में समान ग्रेड एवं सामान श्रेणी के चावल का स्टॉक शामिल होना चाहिए।