नई दिल्ली, 4 मार्च (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को मानहानि के एक मामले में तृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया। मोइत्रा ने "प्रश्न के बदले नकदी" मामले में भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और वकील जय अनंत देहाद्राई द्वारा सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ कथित अपमानजनक पोस्ट पर रोक लगाने की माँग की थी।
न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने अंतरिम निषेधाज्ञा के लिए मोइत्रा का आवेदन खारिज कर दिया, और दुबे तथा देहाद्राई को इस स्तर पर विवादित सामग्री पोस्ट करने से रोकने से इनकार कर दिया।
मोइत्रा की अर्जी पर कोर्ट ने 20 दिसंबर 2023 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
अदालत ने कहा, "मैंने निषेधाज्ञा आवेदन खारिज कर दिया है।"
न्यायमूर्ति दत्ता ने पहले स्पष्टीकरण की आवश्यकता पर बल देते हुए मोइत्रा और व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी के बीच किसी भी प्रकार के प्रत्युपकार के बारे में पूछा था।
मोइत्रा पर, जिन्हें पिछले साल 8 दिसंबर को संसद की आचार समिति द्वारा लोकसभा सांसद के रूप में निष्कासित कर दिया गया था, हीरानंदानी की ओर से सदन में प्रश्न पूछने के बदले नकद प्राप्त करने का आरोप था।
दुबे और देहाद्राई का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ताओं ने पहले एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट के पैरा 68 का हवाला देते हुए आरोप लगाया था कि मोइत्रा और हीरानंदानी के बीच एक समझौता था, जिसके कारण मोइत्रा को लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया था।
अदालत ने तब मोइत्रा के अंतरिम निषेधाज्ञा आवेदन पर आदेश सुरक्षित रख लिया था।
दुबे ने ही लोकसभा अध्यक्ष के पास शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें दावा किया गया था कि मोइत्रा ने संसद में सवाल उठाने के लिए रिश्वत ली थी। दुबे के अनुसार, ये आरोप देहाद्राई द्वारा उन्हें संबोधित एक पत्र से उपजे हैं।
--आईएएनएस
एकेजे/