नई दिल्ली, 4 अप्रैल (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वह रियल एस्टेट के खिलाफ दिवाला कार्यवाही में अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) की नियुक्ति की पृष्ठभूमि में सुपरटेक के 40 मंजिला ट्विन टावरों में घर खरीदारों के हितों की रक्षा करेगा। शीर्ष अदालत ने घर खरीदारों के दावों के वितरण पर आईआरपी से भी जवाब मांगा।
अधिवक्ता गौरव अग्रवाल द्वारा दायर एक नोट के अनुसार, इस मामले में न्यायमित्र (एमिकस क्यूरी) नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी), नई दिल्ली ने 25 मार्च, 2022 को एक आदेश पारित किया है, जिसके द्वारा कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (सीआरआईपी) शुरू की गई है। आईबी कोड, 2016 की धारा 14 के तहत सुपरटेक लिमिटेड के खिलाफ एक स्थगन घोषित है और हितेश गोयल को आईआरपी भी नियुक्त किया गया है।
अग्रवाल ने अनुरोध किया कि न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ और सूर्यकांत इस बात पर विचार करें कि क्या ट्विन टावरों के शेष घर खरीदारों को भुगतान समाधान प्रक्रिया का हिस्सा होना चाहिए या क्या भुगतान कंपनी द्वारा उपलब्ध धन से किया जाना चाहिए (या जो भविष्य में उपलब्ध हो सकता है) यानी ऐसे भुगतानों को सीआईआरपी प्रक्रिया से बाहर रखा जाए?
दूसरा, यदि भुगतान सीआईआरपी प्रक्रिया का हिस्सा है, तो क्या घर खरीदारों की देय राशि को प्रस्तावित समाधान योजनाओं में एक अलग श्रेणी के रूप में शामिल किया जाएगा, ताकि घर खरीदारों को सफल समाधान आवेदक से ब्याज के साथ धनवापसी मिल सके?
पीठ ने कहा कि वह नोएडा में सुपरटेक के ट्विन टावरों को गिराने के मामले में घर खरीदारों के हितों की रक्षा करेगी। कहा गया है कि घर खरीदारों को आईआरपी के साथ अपने दावे दर्ज करने चाहिए और अपने दावों के वितरण पर आईआरपी से जवाब मांगना चाहिए।
अग्रवाल द्वारा प्रस्तुत नोट में कहा गया है : सुपरटेक लिमिटेड द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, 711 ग्राहकों/इकाइयों में से 652 इकाइयों/ग्राहकों के दावों का निपटान/भुगतान किया जाता है। 59 घर खरीदारों को अभी भी राशि वापस करनी है। मूल बकाया राशि 14.96 करोड़ रुपये होगा।
न्यायमित्र ने सुझाव दिया कि ट्विन टावरों के घर खरीदारों को 15 अप्रैल तक आईआरपी को अपने दावे दर्ज करने के लिए निर्देशित किया जा सकता है और सभी दावों का मिलान किया जाना चाहिए, ब्याज की गणना की जानी चाहिए और 30 अप्रैल तक शीर्ष अदालत को एक रिपोर्ट दी जानी चाहिए।
उन्होंने कहा, आईआरपी इस रिपोर्ट में यह भी संकेत दे सकता है कि क्या कंपनी के पास उपलब्ध राशि (या जो कंपनी के संचालन से निकट भविष्य में यथोचित रूप से उपलब्ध कराई जा सकती है) उन दावों को पूरा करने के लिए पर्याप्त होगी।
सुपरटेक ने शीर्ष अदालत को यह भी बताया कि वह दिवाला कार्यवाही पर एनसीएलटी के आदेश के खिलाफ अपील के लिए अदालत का दरवाजा खटखटा रही है।
शीर्ष अदालत मामले की आगे की सुनवाई मई के पहले सप्ताह में कर सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने 31 अगस्त, 2021 के फैसले में नोएडा में सुपरटेक के जुड़वां टावरों को ध्वस्त करने का आदेश दिया था और फर्म को इन टावरों में फ्लैट खरीदारों को पैसे वापस करने का भी निर्देश दिया था।
नोएडा प्राधिकरण ने अदालत को सूचित किया था कि 22 मई को सुपरटेक के 40 मंजिला ट्विन टावरों को ध्वस्त कर दिया जाएगा।
--आईएएनएस
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