नई दिल्ली, 17 सितम्बर (आईएएनएस)। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने शनिवार को अपने अभियोजन प्रावधानों के तहत आने वाले विभिन्न अपराधों के संदर्भ में आयकर अधिनियम, 1961 के तहत अपराधों के कंपाउंडिंग के लिए संशोधित दिशानिर्देश जारी किए।करदाताओं के लाभ के लिए किए गए कुछ बड़े बदलावों में अधिनियम की धारा 276 के तहत अपराध को कंपाउंडेबल बनाना शामिल है। इसके अलावा, मामलों के कंपाउंडिंग के लिए पात्रता के दायरे में ढील दी गई है, जिसके तहत एक आवेदक के मामले में जिसे 2 साल से कम समय के लिए कारावास की सजा दी गई है, को अब कंपाउंडेबल बना दिया गया है। सक्षम प्राधिकारी के पास उपलब्ध विवेक को भी उपयुक्त रूप से प्रतिबंधित किया गया है।
विभाग के अनुसार, कंपाउंडिंग आवेदनों की स्वीकृति की समय सीमा को शिकायत दर्ज करने की तारीख से पहले 24 महीने की सीमा से अब 36 महीने कर दिया गया है। इसके अलावा, प्रक्रियात्मक जटिलताओं को भी कम और सरल किया गया है।
अधिकारियों ने कहा कि अधिनियम के कई प्रावधानों में चूक को कवर करने वाले कंपाउंडिंग शुल्क के लिए विशिष्ट ऊपरी सीमाएं पेश की गई हैं। 3 महीने तक 2 प्रतिशत प्रति माह और 3 महीने से अधिक 3 प्रतिशत प्रति माह की दर से दंडात्मक ब्याज की प्रकृति में अतिरिक्त चक्रवृद्धि शुल्क क्रमश: 1 प्रतिशत और 2 प्रतिशत कर दिया गया है।
--आईएएनएस
आरएचए/एएनएम