नई दिल्ली, 3 फरवरी (आईएएनएस)। भारतीय रेल हैरिटेज हाइड्रोजन के तहत 35 हाइड्रोजन ट्रेनें चलाएगी। ईंधन के रूप में हाइड्रोजन का उपयोग ग्रीन ग्रोथ की ओर एक बड़ा कदम है। संचार और इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शुक्रवार राज्यसभा में जानकारी देते हुए कहा कि भारतीय रेलवे ने विभिन्न हेरिटेज रूट्स पर प्रति ट्रेन 80 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत और प्रति रूट 70 करोड़ रुपए की ग्राउंड इंफ्रास्ट्रक्चर पर हैरिटेज फॉर हाइड्रोजन के तहत 35 हाइड्रोजन ट्रेनें चलाने की योजना बनाई है। भारतीय रेलवे साल 2030 से पहले शून्य कार्बन उत्सर्जन करने की दिशा में बढ़ रही है।
इसके अलावा, भारतीय रेल ने 111.83 करोड़ रुपए की लागत से ग्राउंड इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ मौजूदा डीजल इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (डीएमयू) रेक पर हाइड्रोजन फ्यूल सेल (NS:SAIL) के रेट्रो फिटमेंट के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट तैयार किया है। जिसे उत्तरी रेलवे के जींद-सोनीपत सेक्शन पर चलाने की योजना है। जिसके 2023-2024 वित्तीय वर्ष में शुरू होने की उम्मीद है। सबसे पहले यह कालका-शिमला जैसे हेरिटेज सर्किट पर चलेगी। इसके बाद इसका विस्तार कर अन्य रूटों पर भी किया जायेगा।
भारतीय रेल के परिदृश्य में हाइड्रोजन ईंधन आधारित ट्रेन की परिचालन लागत स्थापित नहीं की गई है। यह अनुमान लगाया गया है कि हाइड्रोजन ईंधन ट्रेन-सेट की प्रारंभिक संचालन लागत अधिक होगी जो बाद में ट्रेनों की संख्या में वृद्धि के साथ कम हो जाएगी। इसके अलावा, ईंधन के रूप में हाइड्रोजन का उपयोग स्वच्छ ऊर्जा स्रोत के रूप में शून्य कार्बन उत्सर्जन लक्ष्यों का समर्थन करने के लिए हरित परिवहन प्रौद्योगिकी की दिशा में बड़ा लाभ प्रदान करता है।
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