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मानसून की सुस्त गति से खाद्यान्न की कीमतों में तेजी-मजबूती के संकेत

प्रकाशित 20/06/2023, 02:46 pm
मानसून की सुस्त गति से खाद्यान्न की कीमतों में तेजी-मजबूती के संकेत
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iGrain India - नई दिल्ली । विलम्बित मानसून के कारण खरीफ फसलों की बिजाई में हो रही देरी का असर खाद्यान्न के घरेलू बाजार भाव पर पड़ना शुरू हो गया है।

पिछले एक पखवाड़े के दौरान चावल तथा इससे निर्मित उत्पादों जैसे- पोहा एवं मुरमुरा आदि तथा ज्वार एवं बाजरा जैसे मोटे अनाजों के दाम में 5 से 15 प्रतिशत तक का इजाफा हो गया।

इसी तरह सरकार के मूल्य नियंत्रण उपायों के बावजूद गेहूं तथा दलहनों का भाव ऊंचे स्तर पर मजबूत बना हुआ है। व्यापार विश्लेषकों का मानना है कि जब तक खरीफ फसलों की जोरदार बिजाई के लिए मानसून की अच्छी बारिश नहीं हो जाती है तब तक बाजार में नरमी आना मुश्किल है।

ध्यान देने की बात है कि खरीफ सीजन में धान, अरहर, उड़द, मूंग, सोयाबीन, मूंगफली, मक्का एवं ज्वार-बाजरा सहित कुछ अन्य जिंसों का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है।

पिछले एक पखवाड़े के दौरान चावल एवं इसके उत्पादों के दाम में 15 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी हो गई। दक्षिण-पश्चिम मानसून इस बार एक तो 7 दिनों की देरी से केरल में पहुंचा था और दूसरे, इसके आगे बढ़ने की चाल भी काफी सुस्त रही।

वस्तुत: 11 जून से मानसून में लगभग ठहराव आ गया था जिससे खरीफ फसलों की बिजाई प्रभावित हुई। इसी तरह गेहूं एवं दलहनों के दाम भी मजबूत बने हुए हैं और तमाम सरकारी प्रयासों के बावजूद इसमें नरमी आने के संकेत नहीं मिल रहा हैं। सरकार ने दोनों पर ही स्टॉक सीमा लागू कर दिया है।

समीक्षकों के मुताबिक अनाजों का भाव आगामी समय में भी मजबूत या तेज रह सकता है लेकिन यदि मानसून तेज रफ़्तार से आगे बढ़ता है और प्रमुख कृषि उत्पादक राज्यों में सही समय पर अच्छी वर्षा हो जाती है तो खरीफ फसलों की बिजाई की रफ्तार में वृद्धि होगी और तब कीमतों पर कुछ दबाव पड़ सकता है।

दलहनों की बिजाई के लिए महाराष्ट्र, कर्नाटक एवं मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में स्थिति पूरी तरह अनुकूल नहीं है। गुजरात और राजस्थान के कुछ इलाकों में बिपरजॉय तूफान की वजह से भारी वर्षा होने के कारण खेतों में पानी भर गया है जबकि अन्य भागों में मौसम शुष्क एवं गर्म बना हुआ है।

दक्षिण भारत में कर्नाटक, तेलंगाना एवं आंध्र प्रदेश के दलहन उत्पादकों को अभी अच्छी बारिश का इंतजार है। पूर्वी, मध्यवर्ती एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र में गर्मी का प्रकोप जारी है। 

तुवर की खेती मुख्यत: खरीफ सीजन में तथा फसल की कटाई-तैयारी दिसम्बर-फरवरी के दौरान होती है।

कर्नाटक एवं महाराष्ट्र इसके शीर्ष उत्पादक राज्य हैं लेकिन वहां विभिन्न क्षेत्रों में वर्षा का भारी अभाव देखा जा रहा है। कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को अच्छी बारिश होने  के बाद ही खरीफ फसलों की बिजाई आरंभ करने का सुझाव दिया है।

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