iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार ने कहा है कि गैर बासमती सफेद (कच्चे) चावल के निर्यात पर लगे प्रतिबंध पर फिलहाल पुनर्विचार करने की कोई योजना नहीं है और भविष्य में इसके उत्पादन, सरकारी खरीद, स्टॉक की स्थिति एवं कीमतों की समीक्षा करने के बाद ही इसे वापस लेने या नहीं लेने का फैसला किया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि घरेलू प्रभाग में आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने तथा कीमतों में तेजी पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से सरकार ने 20 जुलाई 2023 को कच्चे (सफेद) चावल के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया था जबकि उससे पूर्व पिछले साल सितम्बर में 100 प्रतिशत टूटे चावल के निर्यात पर भी रोक लगा दी गई थी जो अभी तक जारी है।
चूंकि जुलाई 2023 में खाद्य महंगाई की दर उछलकर पिछले 39 महीनों के शीर्ष स्तर पर पहुंच गई इसलिए केन्द्र सरकार अभी सफेद गैर बासमती चावल के निर्यात पर लगे प्रतिबंध को हटाने के बारे में कोई विचार करने की स्थिति में भी नहीं है।
वरिष्ठ आधिकारिक सूत्रों के अनुसार घरेलू प्रभाग में पर्याप्त आपूर्ति एवं उपलब्धता सुनिश्चित करना तथा कीमतों को उचित स्तर पर रखना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। भविष्य में भी इस निर्यात प्रतिबंध को हटाने का निर्णय अनेक बातों पर निर्भर करेगा मगर फिलहाल परिस्थिति इसके लिए अनुकूल नहीं है।
अधिकारियों का कहना है कि निर्यात प्रतिबंध लगाते समय सरकार ने कुछ राहत भरे प्रावधानों पर भी गौर किया और कुछ जरूरतमंद देशों को उसकी खाद्य सुरक्षा की जरूरतों को पूरा करने हेतु विशेष अनुरोध के आधार पर सफेद चावल के निर्यात की अनुमति देने का निर्णय लिया है। इन देशों को सरकार से सरकार स्तर पर चावल का निर्यात हो सकता है।
घरेलू प्रभाग में आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने तथा कीमतों को नियंत्रित करने के उद्देश्य से सरकार ने खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत न केवल बेचे जाने वाले चावल की मात्रा 25 लाख टन निर्धारित कर दी है बल्कि इसका न्यूनतम आरक्षित मूल्य भी 3100 रुपए प्रति क्विंटल से 200 रुपए घटाकर 2900 रुपए प्रति क्विंटल नियत कर दिया है।