iGrain India - नई दिल्ली । तुवर और उड़द के बाद अब चना की बढ़ती कीमतों ने सरकार की नींद उड़ा दी है। सरकार खाद्य महंगाई को नियंत्रित करने हेतु तरह-तरह से प्रयास कर रही है मगर बाजार अपनी चाल से ही आगे बढ़ता जा रहा है।
इसे देखते हुए गेहूं, तुवर एवं उड़द के बाद अब चना पर भी भंडारण सीमा आदेश (स्टॉक लिमिट आर्डर) लागू होने की संभावना बढ़ गई है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार रिकॉर्ड उत्पादन एवं पर्याप्त उपलब्धता के बावजूद हाल के सप्ताहों के दौरान चना की कीमतों में आई तेजी चिंता की बात है और ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ लोग अनावश्यक रूप से इसका स्टॉक जमा करके बाजार को तेज कर रहे रहे।
पिछले कई वर्षों में पहली बार चना का थोक मंडी भाव उछलकर सरकारी समर्थन मूल्य से काफी ऊंचा पहुंच गया है। सरकार ने चना का न्यूनतम समर्थन मूल्य इस बार 5335 रुपए प्रति क्विंटल नियत कर रखा है जबकि इसका मंडी मूल्य 6100 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास चल रहा है।
त्यौहारी सीजन में इसकी कीमतों में और बढ़ोत्तरी होने की संभावना है जिसे रोकने के लिए सरकार जल्दी ही आवश्यक कदम उठा सकती है। उपभोक्ता मामले विभाग के अनुसार पिछले एक माह के दौरान चना दाल का खुदरा औसत (मॉडल) मूल्य 14 प्रतिशत बढ़कर 31 अगस्त को 80 रुपए प्रति किलो पर पहुंच गया।
दिलचस्प तथ्य यह है कि सरकारी एजेंसी नैफेड के पास चना एक विशाल स्टॉक मौजूद है और वह नियमित रूप से साप्ताहिक ई-नीलामी के जरिए इसकी बिक्री भी कर रही है लेकिन इसका बावजूद चना के खुले बाजार मूल्य पर उसका कोई सकारात्मक असर नहीं दिखाई पड़ रहा है।
नैफेड के पास करीब 37.50 लाख टन चना का बफर स्टॉक था जिसमें से अब तक लगभग 6 लाख टन की बिक्री हो चुकी है। सरकार ने मई में ही तुवर एवं उड़द पर 31 अक्टूबर तक के लिए भंडारण सीमा लागू कर दिया था लेकिन फिर भी उसका भाव नीचे नहीं आया।
इसी तरह उड़द, तुवर एवं मसूर का शुल्क मुक्त आयात भी घरेलू बाजार को दबाने में असफल साबित हो रहा है। जनवरी में मई तक चना का भाव मंदा रहा था मगर जुलाई में 1.72 प्रतिशत बढ़ा और अगस्त माह के दौरान इसमें भारी बढ़ोत्तरी दर्ज की गई।