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संसद के विशेष सत्र से पहले अस्पष्ट एजेंडे, ममता की अनुपस्थिति और अडानी पर जेपीसी से जूझ रही टीएमसी

प्रकाशित 16/09/2023, 09:10 pm
संसद के विशेष सत्र से पहले अस्पष्ट एजेंडे, ममता की अनुपस्थिति और अडानी पर जेपीसी से जूझ रही टीएमसी
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कोलकाता, 16 सितंबर (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ पार्टी और विपक्षी दलों के गठबंधन 'इंडिया' के महत्वपूर्ण घटकों में से एक तृणमूल कांग्रेस को इस बात का कोई अंदाज़ा नहीं है कि 18 से 22 सितंबर तक होने वाले संसद के विशेष सत्र में क्या होने जा रहा है।इस तरह की अनभिज्ञता के पीछे पहला स्पष्ट कारण विशेष सत्र का अस्पष्ट एजेंडा है, हालांकि यह कारक इंडिया गठबंधन के सभी घटकों के लिए आम है।

राज्यसभा में पार्टी के नेता डेरेक ओ ब्रायन पहले ही दावा कर चुके हैं कि चूंकि विशेष सत्र का पूरा एजेंडा अभी तक सामने नहीं आया है, इसलिए ऐसी आशंका है कि केंद्र सरकार बाद में सूची में और अधिक कार्य जोड़ सकती है। अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि पार्टी ने अपने सांसदों को विशेष सत्र के दौरान सदन में उपस्थित रहने के लिए व्हिप जारी किया है या नहीं।

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि इस अनभिज्ञता के पीछे कुछ अन्य कारण भी हैं जो केवल तृणमूल कांग्रेस के लिए हैं। पहला कारण मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष ममता बनर्जी की लंबे समय से अनुपस्थिति है, जो हमेशा संसद के किसी भी सत्र से पहले अपनी पार्टी के लोकसभा और राज्यसभा सदस्यों के लिए रणनीति की रूपरेखा तैयार करती हैं।

वह वर्तमान में पश्चिम बंगाल में निवेश तलाशने के लिए स्पेन और दुबई के 11 दिवसीय दौरे पर हैं और 23 सितंबर को विशेष सत्र समाप्त होने तक देश लौट आएंगी।

इसके अलावा पार्टी के दूसरे नंबर के नेता और राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी प्रवर्तन निदेशालय कार्यालय में उपस्थित होने के कारण 13 सितंबर को "इंडिया" गठबंधन की पहली समन्वय समिति की बैठक में भाग लेने में असमर्थ थे। वह पश्चिम बंगाल में स्कूल में नौकरी के बदले करोड़ों रुपये के घोटाले के सिलसिले में पूछताछ के लिए कोलकाता में थे।

तृणमूल कांग्रेस के अंदरूनी सूत्र मानते हैं कि अगर वह बैठक में शामिल होते तो विशेष सत्र के लिए विपक्ष के एजेंडे पर चर्चा कर सकते थे। उन्होंने कहा कि संभवत: 17 सितंबर को होने वाली सर्वदलीय बैठक में विशेष सत्र के एजेंडे पर कुछ प्रकाश डाला जा सकता है और उसके आधार पर पार्टी की कोई रणनीति बनायी जायेगी।

तृणमूल कांग्रेस ने जो एकमात्र तैयारी शुरू की है, वह मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की चयन प्रक्रिया पर विधेयक से संबंधित है।

ममता बनर्जी ने अपनी पार्टी के नेताओं को इस विधेयक का पुरजोर विरोध करने का निर्देश दिया है क्योंकि इसमें सीईसी और ईसी के चयन के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश को पैनल से बाहर करने का प्रस्ताव है।

वहीं, डेरेक ओ ब्रायन जैसे तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय नेताओं की ओर से संकेत मिले हैं कि अगर मौका मिला तो महिला आरक्षण विधेयक और मणिपुर की स्थिति जैसे मुद्दे संसद में उठाए जा सकते हैं।

राजनीतिक टिप्पणीकार अमल सरकार को लगता है कि एक और कारण हो सकता है कि तृणमूल कांग्रेस विशेष सत्र के लिए अपनी रणनीति को कम प्रोफ़ाइल बना रही है।

उन्होंने कहा कि अडानी समूह से संबंधित हालिया घटनाक्रम की संयुक्त संसदीय समिति की जांच को लेकर तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस के बीच मतभेद इसका कारण है। जबकि, कांग्रेस, विशेष रूप से उनके नेता राहुल गांधी, लगातार मामले में जेपीसी जांच पर जोर दे रहे हैं।

वहीं तृणमूल कांग्रेस ने आपत्ति व्यक्त करते हुए दावा किया है कि जांच पैनल से कुछ नहीं निकला है। संभवतः यही कारण है कि राज्य में सत्तारूढ़ दल इस मामले में कम प्रोफ़ाइल बनाए हुए है ताकि कांग्रेस के साथ उसके मतभेद संसद के विशेष सत्र से पहले फिर से सामने न आएं।

--आईएएनएस

एबीएम

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