iGrain India - नई दिल्ली । चालू माह के आरंभ में खरीफ कालीन दलहन फसलों का उत्पादन क्षेत्र गत वर्ष से करीब 11 लाख हेक्टेयर पीछे चल रहा था मगर अब करीब 6 लाख हेक्टेयर पीछे है।
ऊंचे बाजार भाव के कारण किसान दलहनों का रकबा बढ़ने का प्रयास कर रहे थे लेकिन शुरूआती दौर में ही महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना में कम बारिश के कारण इसकी बिजाई काफी पिछड़ गई थी जिसकी भरपाई अब तक नहीं हो सकी। मध्य प्रदेश में उड़द का रकबा लगभग सामान्य हो गया।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार चालू खरीफ सीजन में 22 सितम्बर तक दलहन फसलों का कुल उत्पादन क्षेत्र 122.57 लाख हेक्टेयर पर ही पहुंच सका जो पिछले साल की समान अवधि के बिजाई क्षेत्र 128.49 लाख हेक्टेयर से 5.92 लाख हेक्टेयर तथा सामान्य औसत क्षेत्रफल 140.18 लाख हेक्टेयर से करीब 12 प्रतिशत कम है।
प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में देर से बारिश होने के कारण दलहन फसलों की बिजाई में काफी सुधार आ गया लेकिन फिर भी कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना एवं तमिलनाडु जैसे राज्यों में क्षेत्रफल कुछ पीछे रह गया। तुवर, उड़द एवं मूंग का रकबा घटा है जबकि खरीफ सीजन में इसका सर्वाधिक उत्पादन होता है।
मौसम तथा मानसून की हालत भी दलहन फसलों के लिए पूरी तरह अनुकूल नहीं रही है। अगस्त का महीना अब तक का सबसे ज्यादा गर्म एवं शुष्क रहा जिससे खासकर मूंग एवं उड़द की फसल कई इलाकों में प्रभावित हुई।
दलहनों का घरेलू बाजार भाव पहले से ही ऊंचा एवं तेज है। यदि खरीफ काल में उत्पादन घटता है तो बाजार पर गहरा मनोवैज्ञानिक असर पड़ सकता है।
मूंग के नए माल की आवक पहले ही शुरू हो चुकी है और अब उड़द की फसल भी पकने लगी है। तुवर की फसल दिसम्बर-जनवरी में आएगी। सरकार ने तुवर एवं उड़द के लिए भंडारण सीमा के नियम को और भी सख्त बना दिया है।