मुंबई, 16 अक्टूबर (आईएएनएस)। तेल की बढ़ती कीमतों और इजरायल-हमास युद्ध के कारण वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता के बीच भारतीय रुपया सोमवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 12 महीने के निचले स्तर 83.28 पर आ गया।ट्रेडर्स के अनुसार, रुपये को भारी गिरावट से बचाने के लिए आरबीआई बाजार में डॉलर बेचने के लिए समय-समय पर हस्तक्षेप करता रहा है।
बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड लगभग 6 प्रतिशत उछलने के बाद 91 डॉलर प्रति बैरल के करीब मंडरा रहा है। उधर इज़राइल गाजा में अपने जमीनी हमले को अंजाम देने के लिए तैयार है। ऐसी आशंका है कि अमेरिका और ईरान के शामिल होने से तनाव एक व्यापक भू-राजनीतिक संकट में बदल सकता है। इससे मध्य पूर्व क्षेत्र से तेल के प्रवाह में व्यवधान उत्पन्न हो सकता है।
अमेरिका पहले ही दो विमानवाहक पोत भूमध्य सागर में भेज चुका है, जबकि ईरान ने इजराइल की आलोचना करते हुए हमास के समर्थन में बयान जारी किया है।
तीन महीनों में तेल की कीमतें लगभग 30 प्रतिशत बढ़ गईं, जो लगभग दो दशकों में तीसरी तिमाही की सबसे बड़ी बढ़त है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के कारण डॉलर की मांग बढ़ने से अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 83 के निचले स्तर पर आ गया है।
पिछले सप्ताह जारी आरबीआई के नए आंकड़ों के अनुसार, भारत का चालू खाता घाटा (सीएडी) अप्रैल-जून तिमाही में सात गुना बढ़कर 9.2 बिलियन डॉलर हो गया, जबकि पिछली तिमाही में यह आंकड़ा 1.3 बिलियन डॉलर था।
तेल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी और वैश्विक बाजारों में मांग में गिरावट के साथ साथ निर्यात में कमी से रुपये पर और दबाव बढ़ेगा।
2023-24 की अप्रैल-जून तिमाही में चालू घाटा जीडीपी का 1.1 फीसदी था।
एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज की प्रमुख अर्थशास्त्री माधवी अरोड़ा के अनुसार, तेल की ऊंची कीमतों, आयात और सेवाओं के निर्यात में मंदी के कारण जुलाई-सितंबर तिमाही में चालू घाटा जीडीपी का 2.4 प्रतिशत हो जाएगा।
--आईएएनएस
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