कोलकाता, 30 जनवरी (आईएएनएस)। देश के अन्य राज्यों से पंजीकृत, लेकिन वर्तमान में पश्चिम बंगाल में प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों को अनिवार्य रूप से पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल में नामांकन कराना होगा।यह न केवल सरकारी अस्पतालों से जुड़े डॉक्टरों, बल्कि निजी अस्पतालों से जुड़े डॉक्टरों पर भी लागू होगा, जिनमें निजी चैंबर चलाने वाले डॉक्टर भी शामिल हैं।
राज्य चिकित्सा परिषद के एक पदाधिकारी ने कहा, ''इस संबंध में एक विस्तृत अधिसूचना जल्द ही जारी की जाएगी। पहले कदम के रूप में, राज्य के सभी निजी अस्पतालों को उनके साथ जुड़े चिकित्सकों की एक सूची प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है।''
बताया जा रहा है कि शुरुआती चरण में राज्य के बड़े कॉरपोरेट अस्पतालों को अगले 15 दिनों के भीतर राज्य चिकित्सा परिषद से जुड़े डॉक्टरों की सूची का विवरण देने को कहा गया है।
अस्पताल अधिकारियों से उनसे जुड़े डॉक्टरों के आधार और पैन कार्ड का विवरण भी देने को कहा गया है। पदाधिकारी ने कहा कि इस कदम का उद्देश्य अन्य राज्यों के पंजीकरण वाले डॉक्टरों को किसी भी चिकित्सीय लापरवाही के मामले में परिषद के प्रति जवाबदेह बनाना है।
शहर के ओरल और मैक्सिलोफेशियल सर्जन सृजन मुखर्जी ने आईएएनएस को बताया, ''राज्य में प्रैक्टिस करने वाले सभी डॉक्टरों के लिए राज्य चिकित्सा परिषद में अनिवार्य नामांकन की यह शर्त हमेशा से थी।''
लेकिन इसे कभी भी सख्ती से लागू नहीं किया गया। आखिरकार राज्य मेडिकल काउंसिल अब इसे और सख्ती से लागू करने जा रही है। जो भी हो, पश्चिम बंगाल में प्रैक्टिस करने वाले सभी डॉक्टरों का, चाहे वे किसी भी राज्य के हों, राज्य चिकित्सा परिषद में पंजीकरण कराना जरूरी है।
उन्होंने आगे कहा, ''मैं परिषद से सहमत हूं कि इससे चिकित्सकीय लापरवाही की किसी भी शिकायत की स्थिति में जवाबदेही तय करने में मदद मिलेगी।''
--आईएएनएस
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