नयी दिल्ली, 21 मई (आईएएनएस)। स्टरलाइट कॉपर ने चेन्नई में आयोजित सिक्की सीएक्सओ कॉन्क्लेव में तांबे के महत्व और आधुनिक दुनिया में इसके योगदान पर प्रकाश डालते हुए एक कॉफी टेबल बुक हाय, आई एम कॉपर लॉन्च किया। स्टरलाइट कॉपर की मुख्य संचालन अधिकारी ए सुमति के साथ इंटरनेशनल कॉपर एसोसिएशन, इंडिया के प्रबंध निदेशक मयूर कर्माकर ने 70 पृष्ठों की दिलचस्प और जानकारीपरक कॉफी टेबल बुक का अनावरण किया। इस किताब में तांबे की उत्पत्ति और आधुनिक दुनिया को आकार देने में इसकी भूमिका के बारे में बताया गया है।
इस किताब में 9,000 ईसा पूर्व मिस्र की एक नदी में हुई तांबे की खोज से लेकर मौजूदा समय तक तांबे की पूरी यात्रा की जानकारी दी गई है। इसमें बताया गया है कि आधुनिक दुनिया के निर्माण में तांबे की क्या भूमिका रही है। इसमें तांबे के जीवनचक्र के बारे में बताने के साथ बिजली, रक्षा, वाहन, हेल्थकेयर, एफएमसीडी आदि में इसके उपयोग के सभी पहलुओं की जानकारी भी दी गई है।
कॉफी टेबल बुक के लॉन्च के अवसर पर ए. सुमति ने कहा,हमें कॉपर कॉफी टेबल बुक हाय, आई एम कॉपर का अनावरण करते हुए खुशी हो रही है। इस पुस्तक का उद्देश्य तांबे के सफर के बारे में लिचाना और स्टरलाइट की कहानी को बताना है। पिछले 25 वर्षों में, स्टरलाइट कॉपर ने अपनी प्रक्रियाओं को उन्नत करने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाया है और हमने ऊर्जा दक्षता, तांबे को निकालने, अपशिष्ट उपचार के मामले में हमेशा वैश्विक मानकों का पालन किया है। हम साथ ही कॉरपोरेट नीति के के प्रति भी संवेदनशील रहे ।
किताब में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि वर्ष 1996 में 100 किलो टन प्रति वर्ष (केटीपीए) स्मेल्टर के साथ शुरू हुआ स्टरलाइट कॉपर किस तरह से भारत में तांबे का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बन गया। साल 2018 तक यह देश की तांबे की लगभग 36 प्रतिशत मांग को पूरा करता था। संयंत्र के संचालन में गुणवत्ता, पर्यावरण, व्यावसायिक स्वास्थ्य और सुरक्षा, ऊर्जा में प्रमाणन के साथ सर्वोत्तम वैश्विक मानकों का पालन किया गया।
थूथुकुडी में एक सुरक्षित और टिकाऊ संचालन सुनिश्चित करने के लिए संयंत्र ने गैस स्क्रबर, एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट और रिवर्स ऑस्मोसिस प्लांट जैसे पर्यावरणीय सुरक्षा उपायों में भी भारी निवेश किया है। संयंत्र को इसके जीरो लिक्वि ड डिस्चार्ज, जल खपत प्रबंधन, अपशिष्ट में कमी और अपशिष्ट के पुन: उपयोग के लिए प्रमाणीकृत किया गया है।
तमिलनाडु के थूथुकुडी संयंत्र के आर्थिक लाभों के बारे में इस किताब में चर्चा की गई है। यह संयंत्र समुदाय के सहयोग के नये स्तंभ के रूप में स्थापित हुआ और इसने हजारों लोगों को आजीविका प्रदान की। संयंत्र से दैनिक आधार पर लगभग 1,000 ट्रक / टैंकर जुड़े हैं, जिससे प्रति माह लगभग 9,000 ट्रक ड्राइवरों और क्लीनर को आजीविका मिलती है। इसके 650 से अधिक आपूर्ति और सेवा साझेदार थे और उन्हें इससे 13 करोड़ डॉलर से अधिक का कारोबार करने में मदद मिली। स्टरलाइट कॉपर से कच्चे माल की आपूर्ति के लिए आश्रित घरेलू कंपनियों की कुल संख्या 381 थी। कंपनी ने सरकारी खजाने में करीब 29.5 करोड़ डॉलर का योगदान दिया।
थूथुकुडी बंदरगाह के कुल राजस्व में 17 प्रतिशत से अधिक योगदान स्टरलाइट का ही था। कॉपर स्मेल्टिंग के उप-उत्पाद जैसे सल्फ्यूरिक एसिड, फॉस्फोरिक एसिड, जिप्सम और कॉपर स्लैग कई महत्वपूर्ण उद्योगों में कच्चे माल के रूप में इस्तेमाल किये जाते हैं। सल्फ्यूरिक एसिड रसायन और उर्वरक के लिए मुख्य कच्चा माल है जबकि जिप्सम सीमेंट उत्पादन के लिए एक प्रमुख घटक है।
सुमति ने कहा, तांबा, इस्तेमाल के मामले में तीसरे स्थान पर है। इसकी लगातार बढ़ती मांग से उत्पादन की आवश्यकता बढ़ जाती है, जिससे रोजगार के अवसरों और उद्योगों पर इसका सीधा प्रभाव पड़ता है। हमने स्टरलाइट 4,000 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार दिया जबकि 20,000 से अधिक लोग इसे अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े रहे। हम चाहते हैं कि इस किताब को पढ़कर लोग तांबे और स्टरलाइट की यात्रा तथा उसके महत्व के बारे में जागरूक हों, जिसने न केवल एक राष्ट्रीय स्तर पर, बल्कि समग्र अर्थव्यवस्था में बहुत योगदान दिया है।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर में केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के चेयर प्रोफेसर और केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के पूर्व सचिव आशुतोष शर्मा ने इस कॉफी टेबल बुक के लिए प्रस्तावना लिखी है।
प्रोफेसर आशुतोष कहते हैं, हमारी दुनिया के भविष्य में एक अ²श्य प्रवर्तक, तांबे की भूमिका हमारे घरों से लेकर बाहरी अंतरिक्ष अन्वेषणों तक व्यापक होगी। मुझे खुशी है कि इस किताब में तांबे के महत्व को व्यापक रूप से शामिल किया जा रहा है। मैं स्टरलाइट टीम को बधाई देना चाहता हूं कि उसने पारंपरिक उद्योगों से लेकर इसके कई हितधारकों के लिए इस अति आवश्यक दस्तावेज की कल्पना की और उसे तैयार किया।
इस अवसर पर इंटरनेशनल कॉपर एसोसिएशन इंडिया के प्रबंध निदेशक मयूर करमाकर ने कहा, तांबा दुनिया में तीसरी सबसे आवश्यक धातु है, जो दुनिया भर में पर्यावरण और सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान देता है। यह धातु कई क्षेत्रों के लिए एक प्रमुख कच्चा माल है और महामारी के बाद के परि²श्य में इसकी मांग में और तेजी आने की उम्मीद है।
--आईएएनएस
एकेएस/एमएसए