iGrain India - मुम्बई । हालांकि सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सी) द्वारा केन्द्र सरकार से बार-बार अनुरोध किया गया था कि राइस ब्रान एक्सट्रैक्शन या डि ऑयल्ड राइस ब्रान (डीओ आरबी) के निर्यात पर लगे प्रतिबंध की अवधि को 31 दिसम्बर 2023 से आगे न बढ़ाया जाए लेकिन सरकार ने इस आग्रह को नजर अंदाज करके प्रतिबद्ध की समय सीमा को 31 मार्च 2024 तक बढ़ा दिया।
इससे उद्योग तथा निर्यातक निराश हैं। निर्यात पाबंदी के कारण डि ऑयल्ड राइस ब्रान का घरेलू बाजार मूल्य भी नरम पड़ गया है। मालूम हो कि इसका निर्यात मुख्यत: पश्चिम बंगाल के मिलर्स द्वारा कोलकाता बंदरगाह से वियतनाम सहित दक्षिण-पूर्व एशिया के कुछ अन्य देशों को किया जाता रहा है।
एसोसिएशन ने सरकार को भेजे एक पत्र में कहा था कि डीओ आरबी के निर्यात पर प्रतिबंध के बावजूद डेयरी उत्पादों के दाम में गिरावट नहीं आई है लेकिन सॉल्वेंट एक्सट्रैक्शन इकाइयां जरूर अपना निर्यात बाजार गंवा रही है जिसे बहुत परिश्रम के साथ विकसित किया गया था। सरकार ने इस हकीकत को समझने की कोशिश नहीं की।
एसोसिएशन के अनुसार चालू रबी सीजन में कुल मिलाकर तिलहन फसलों और खासकर सरसों की अच्छी बिजाई हुई है। सरसों के उत्पादन क्षेत्र में एक बार बढ़ोत्तरी देखी जा रही है जबकि मौसम की हालत लगभग सामान्य है।
इसके फलस्वरूप अगला उत्पादन कुछ बेहतर होने के आसार हैं। लेकिन मूंगफली, तिल एवं सूरजमुखी की बिजाई गत वर्ष से कुछ पिछड़ रही है। ध्यान देने की बात है कि इन तीनों तिलहनों की खेती खरीफ और रबी-दोनों सीजन में होती है।
ऑयल मील का निर्यात प्रदर्शन बेहतर चल रहा है और ऑफर मूल्य प्रतिस्पर्धी स्तर पर होने से खासकर सोयाडीओसी के शिपमेंट में बढ़ोत्तरी देखी जा रही है। उम्मीद है कि आगे भी इसका सिलसिला जारी रहेगा। अगस्त से राइस ब्रान एक्सट्रैक्शन का शिपमेंट बंद होने के बावजूद ऑयल मील के कुल निर्यात में इजाफा हुआ है।
रबी कालीन तिलहन फसलों और खासकर सरसों के नए माल की आवक फरवरी में छिटपुट रूप से शुरू हो जाती है जल्दी मार्च से मई तक इसकी आपूर्ति का पीक सीजन रहता है।
सरसों का उत्पादन बढ़ने पर स्वदेशी स्रोतों से खाद्य तेलों की उपलब्धता बढ़ेगी और विदेशी खाद्य तेलों के आयात पर निर्भरता घट सकती है। 2022-23 के मार्केटिंग सीजन (नवम्बर-अक्टूबर) के दौरान देश में खाद्य तेलों का आयात तेजी से बढ़कर नए रिकार्ड स्तर पर पहुंच गया था।