पटना, 5 सितंबर (आईएएनएस)। बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने जी-20 सम्मेलन के अवसर पर आयोजित रात्रि भोज के लिए अंग्रेजी में लिखे आमंत्रण पत्र में 'प्रेसिडेंट ऑफ भारत' लिखे जाने के विरोध पर कहा कि यह भी सनातन धर्म और हिंदू संस्कृति के विरोध की गहरी राजनीति का हिस्सा है। यह देश सदियों से भारत है, जबकि 'इंडिया' अंग्रेजों का दिया हुआ नाम है। मोदी ने कहा कि विपक्षी गठबंधन के लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विरोध करने की हद पार करते हुए अब भारत, सनातन धर्म और हिंदू संस्कृति का भी विरोध करने पर उतर गए हैं।
उन्होंने कहा कि चूंकि संविधान मूलत: अंग्रेजी में लिखा गया, इसलिए उसमें 'भारत' और 'इंडिया', दोनों शब्दों का प्रयोग हुआ। दोनों शब्द संवैधानिक हैं।
उन्होंने कहा कि दुनिया में किसी भी देश के दो नाम नहीं है और नाम का अनुवाद नहीं होता, लेकिन अगर हम 75 साल अपने देश भारत को अंग्रेजी में 'इंडिया' लिखते आ रहे हैं, तो इसे ही सही नहीं कहा जा सकता।
मोदी ने कहा कि हम 'भारत माता की जय' बोलते हैं। विपक्ष अगर 'इंडिया माता की जय' बोलना चाहता है, तो उन्हें कौन रोक रहा है।
चक्रवर्ती राजा भरत के नाम पर इस देश का नाम 'भारत' पड़ा और हमारे पौराणिक ग्रंथों में भी इस भूमि का नाम 'भारत' है, लेकिन जो लोग इसके सनातन धर्म और सभ्यता-संस्कृति को मिटाने की सुपारी लिए हुए पटना से मुम्बई तक व्याकुल घूम रहे हैं, उन्हें राष्ट्रपति भवन के आमंत्रण पत्र में 'भारत' लिखने पर भी मिर्ची लग रही है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने 'भारत' शब्द पर आपत्ति की, लेकिन सनातन धर्म को मिटाने के उदयनिधि स्टालिन के बयान का खुलकर समर्थन किया।
मोदी ने कहा कि लालू प्रसाद और नीतीश कुमार भी स्टालिन और प्रियांक खड़गे के बयान का मौन समर्थन कर रहे हैं।
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