नई दिल्ली, 7 सितंबर (आईएएनएस)। देश में गणेश चतुर्थी पर्व की धूम मची है। इस अवसर पर एक पुरानी घटना की यादें ताजा हो रही हैं जो 1991-92 की है। यह घटना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका से जुड़ी है, जब उन्होंने आतंकवाद और जम्मू-कश्मीर को भारत से पूरी तरह जोड़ने के लिए 'एकता यात्रा' का आयोजन किया था। उसी साल गुजरात में भी इसी एकता के संदेश के साथ गणेश उत्सव मनाया गया था।इसकी जानकारी 'मोदी आर्काइव' नामक अकाउंट ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक पोस्ट के जरिए दी है। इसमें प्रधानमंत्री के उस समय की बात की गई है जब वह एक सामान्य कार्यकर्ता के रूप में आतंकवाद के खिलाफ काम कर रहे थे।
पोस्ट में बताया गया है कि यह एकता यात्रा डॉ. मुरली मनोहर जोशी के नेतृत्व में आयोजित की गई थी, जिसका उद्देश्य लोगों को आतंकवाद के खिलाफ एकजुट करना और जम्मू-कश्मीर को भारत के साथ पूरी तरह जोड़ने का समर्थन करना था।
पोस्ट के अनुसार, "1991-92 में, नरेंद्र मोदी एक साधारण भाजपा कार्यकर्ता थे। उन्होंने डॉ. मुरली मनोहर जोशी के नेतृत्व में पूरे देश में एकता यात्रा का आयोजन किया था। इस यात्रा का मकसद आतंकवाद के खिलाफ लोगों को एकजुट करना और जम्मू-कश्मीर को पूरी तरह भारत के साथ जोड़ने का समर्थन करना था। उसी साल जब तिरंगा कश्मीर के लाल चौक पर फहराया गया, गुजरात में गणेश उत्सव की थीम भी एकता यात्रा से प्रेरित थी, जो इस यात्रा के प्रभाव को दर्शाता है।"
पोस्ट में आगे लिखा, "यह सिर्फ एक आधुनिक आंदोलन और परंपरा का मेल नहीं था, बल्कि प्रसिद्ध राष्ट्रवादी नेता लोकमान्य तिलक की विरासत को आगे बढ़ाने का एक सोचा-समझा प्रयास था। लोकमान्य तिलक की विरासत आज भी कई रूपों में जीवित है। उनकी सबसे बड़ी देन में से एक थी गणेश उत्सव का बड़े पैमाने पर आयोजन। उस समय, जब भारत ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष कर रहा था और स्वतंत्रता के लिए एकता की जरूरत थी, उन्होंने गणेश चतुर्थी के सामूहिक आयोजनों के माध्यम से लोगों को एकजुट किया था।"
पोस्ट में बताया गया कि, नरेंद्र मोदी ने 'एकता' या आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता का संदेश देने की कोशिश की थी, ताकि सभी भारतीयों में एक सामाजिक जागरूकता पैदा हो और वे कश्मीर, जो भारत का अभिन्न हिस्सा है, के लिए एक साथ खड़े हों।
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