नई दिल्ली, 31 जनवरी (आईएएनएस)। आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 में कहा गया है कि रोजगार सृजन को तेजी से पटरी पर लाने के लिए निजी पूंजीगत व्यय को जल्द ही नेतृत्व की भूमिका निभाने की जरूरत है।वित्तवर्ष 23 में भारत की आर्थिक वृद्धि मुख्य रूप से निजी खपत और पूंजी निर्माण के कारण हुई है। इसने रोजगार पैदा करने में मदद की है, जैसा कि घटती शहरी बेरोजगारी दर और कर्मचारी भविष्य निधि में तेजी से शुद्ध पंजीकरण में देखा गया है।
एमएसएमई की वसूली तेजी से आगे बढ़ रही है, जैसा कि उनके द्वारा भुगतान की जाने वाली वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की राशि से स्पष्ट है, जबकि आपातकालीन क्रेडिट लिंक्ड गारंटी योजना (ईसीजीएलएस) उनकी ऋण सेवा संबंधी चिंताओं को कम कर रही है।
सर्वेक्षण ने कहा गया है, विकास तब समावेशी होता है, जब यह रोजगार सृजित करता है। आधिकारिक और अनौपचारिक दोनों स्रोत इस बात की पुष्टि करते हैं कि चालू वित्तवर्ष में रोजगार के स्तर में वृद्धि हुई है। आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) से पता चलता है कि 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों के लिए शहरी बेरोजगारी दर सितंबर 2021 में 9.8 प्रतिशत थी जो एक साल बाद घटकर 7.2 प्रतिशत हो गई (सितंबर 2022 को समाप्त तिमाही)।
यह श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर) में सुधार के साथ-साथ वित्तवर्ष 23 की शुरुआत में महामारी से प्रेरित मंदी से अर्थव्यवस्था के उभरने की पुष्टि करता है।
ऐसा प्रतीत होता है कि निर्यात में शुरुआती उछाल दबी हुई मांग की एक मजबूत रिलीज, और कैपेक्स के तेजी से रोलआउट के साथ नौकरी सृजन एक उच्च कक्षा में चला गया है।
सर्वेक्षण में कहा गया है, चूंकि निर्यात वृद्धि स्थिर हो रही है और मांग के पेंट-अप रिलीज का एक सीमित जीवन होगा, यह आवश्यक है कि कैपेक्स अर्थव्यवस्था में रोजगार की सुविधा के लिए बढ़ता रहे, कम से कम ऐसे समय तक जब तक कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार न हो और इसके माध्यम से निर्यात चैनल, रोजगार सृजन के लिए भारत को एक अतिरिक्त विंडो प्रदान करता है। शुक्र है, निजी क्षेत्र के पास प्लेट में कदम रखने और कैपेक्स को भारी उठाने के लिए सभी आवश्यक पूर्व-शर्ते हैं।
यह भी कीा गया है कि उनका आंतरिक संसाधन उत्पादन अच्छा है, क्षमता उपयोग उच्च है और मांग परिदृश्य में सुधार जारी है। वित्तीय संस्थानों का कहना है कि पूंजी बाजार नए निवेशों को वित्तपोषित करने के लिए तैयार हैं।
--आईएएनएस
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