नई दिल्ली, 20 अगस्त (आईएएनएस)। इंडो-यूरो सिंक्रोनाइजेशन (आईईएस) ने 'अपस्किलिंग सर्टिफिकेशन लिंक्ड टू नर्सिंग एम्प्लॉयमेंट इन जर्मनी' की घोषणा की है। आईईएस का मानना है कि यह कार्यक्रम भारत और जर्मनी के बीच स्वास्थ्य क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित होगा। नर्सिंग के क्षेत्र में करियर बनाने वाले युवाओं को जर्मन स्टैंडर्ड पर स्किल ट्रेनिंग देकर उन्हें जर्मनी में रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जाएंगे।
आईईएस ने इस वर्ष देशभर से बीएएसी नर्सिंग के 2000 छात्रों को काउंसलिंग और साइकोमैट्रिक टेस्ट के आधार पर चयनित करने का लक्ष्य रखा है।
'अपस्किलिंग सर्टिफिकेशन लिंक्ड टू नर्सिंग एम्प्लॉयमेंट इन जर्मनी' कार्यक्रम में भारत और जर्मनी दोनों देशों के विशेषज्ञ शामिल हुए, जिससे दोनों देशों के बीच मजबूत संबंध स्थापित हो रहे है।
इस मौके पर मौजूद कैल्मोरोई जर्मनी के ग्लोबल बिजनेस ऑपरेशन के प्रमुख लुकास रोगे ने कहा जर्मनी में 1.8 मिलियन हेल्थ प्रोफेशनल की कमी है। इसे ध्यान में रखते हुए भारतीय युवाओं को जर्मन भाषा के साथ वहां के हेल्थ स्टैंडर्ड पर प्रशिक्षित कर उन्हें जर्मनी में रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जाएंगे। हर महीने 50 हेल्थ प्रोफेशनल को यहां से भेजा जाएगा, बाद में इसकी संख्या और बढ़ाई जाएगी।
उन्होंने कहा कि दोनों देश मिलकर स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक नए गठजोड़ के साथ स्किलिंग और हेल्थ सेक्टर के लिए बेहतर माहौल बना रहे है, जो स्वास्थ्य देखभाल, प्रौद्योगिकी और मानवता के लिए एक उज्जवल भविष्य का वादा करती है।
क्रॉस कल्चर करियर के एमडी वेंकट रेड्डी ने कहा कि आज जर्मनी के चिकित्सा क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है। हम भारत से जर्मनी में कुशल स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों की भर्ती और एकीकरण के लिए एक परिवर्तनकारी पहल शुरू कर रहे हैं। यह जर्मन स्वास्थ्य सेवा के लिए एक मील का पत्थर है, क्योंकि हम स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों की कमी को पाटने का प्रयास कर रहे हैं। हमारा उद्देश्य कुशल भारतीय पेशेवरों को जर्मन स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में अवसर उपलब्ध कराना है।
उन्होंने कहा कि जर्मनी में नर्सों के लिए करियर की अपार संभावनाएं है। वहां पर अच्छी सैलरी के साथ करियर ग्रोथ में बेहतर है।
ओम श्री, सीओओ, आईईएस, ने कहा कि हमारे कार्यक्रम ने जर्मनी के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में करियर बनाने के इच्छुक छात्रों और पेशेवरों के लिए दरवाजे खोल दिए हैं। भारत-जर्मन साझेदारी से युवाओं की प्रतिभा को एक मंच मिलेगा और स्किल गैप में भी कमी आएगी।
--आईएएनएस
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