भोपाल,16 अगस्त (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने शुक्रवार को भोपाल में माधवराव सप्रे स्मृति समाचार पत्र संग्रहालय में आयोजित "भारतीय भाषा महोत्सव" का शुभारंभ किया। इस दौरान उन्होंने कई पुस्तकों का विमोचन किया। उन्होंने कहा कि भाषा से भारतीय संस्कृति की पहचान है। इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री उदय प्रताप सिंह एवं अन्य मौजूद रहे। उन्होंने नई शिक्षा नीति 2020 के तहत आरएसएस विचारकों की किताबों को पाठ्यक्रम में शामिल करने को लेकर उठे विवाद पर कहा कि "पाठ्यक्रम को अभी अंतिम रूप नहीं दिया गया है। समिति और अध्ययन मंडल इस पर अंतिम निर्णय लेंगे। लेकिन, हम इतना बता देना चाहते हैं कि पीएम कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस की लाइब्रेरी में प्रत्येक विचारवान लेखकों की पुस्तकें होंगी।
उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 के माध्यम से शिक्षा में हर भाषा के उपयोग पर जोर दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमारे यहां ऐसा माना जाता है कि ज्ञान दसों दिशाओं से आनी चाहिए। ज्ञान का प्रवाह कभी नहीं रुकना चाहिए, भारत की विशेषता भी यही है। भारत के आगे बढ़ने का कारण भी यही है। यादव ने कहा कि हमारे यहां कहा गया है, सर्वे भवंतु सुखिन:, हम तो सभी के लिए सोच कर चलने वाले हैं। दसों दिशाओं से जो विचार आते हैं, उसमें से हम अपने मूल विचार को भूले नहीं है।
बता दें कि मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने भी इस पर जोर दिया था कि भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास को उसके उचित संदर्भ में जनता के सामने पेश किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति, 2020 के तहत भारतीय ज्ञान परंपरा पर काम हो रहा है। खुशी की बात है कि उसमें मध्य प्रदेश अग्रणी राज्य बनने जा रहा है। राज्य ने विचार की प्रक्रिया तेज की है। सभी विश्वविद्यालयों में ज्ञान परंपरा का प्रकोष्ठ बनाया है।
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