श्रीनगर, 21 सितम्बर (आईएएनएस)। इस साल मई में, उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक ने एक बयान दिया कि, 2023 के अंत तक कश्मीर को रेलवे लिंक के माध्यम से देश के बाकी हिस्सों से जोड़ा जाएगा। जैसे-जैसे यह साल समाप्त हो रहा है और काम की वर्तमान गति से यह साफ है कि कश्मीर से कन्याकुमारी का सपना जल्द ही साकार होगा।उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेलवे लिंक (यूएसबीआरएल) एक सदाबहार, लागत प्रभावी लाइन है जो केंद्र शासित प्रदेश की अर्थव्यवस्था के लिए एक वरदान होगी। इस महीने तक, रेलवे लिंक ने पांच करोड़ रोजगार का सृजन किया है। परियोजना के पहले तीन चरण पूरे हो चुके हैं। कश्मीर घाटी में बारामूला-बनिहाल और जम्मू क्षेत्र में जम्मू-उधमपुर-कटरा के बीच ट्रेनें चल रही हैं। कटरा और बनिहाल के बीच चुनौतीपूर्ण 111 किलोमीटर पर काम जारी है।
रेलवे ने रियासी और रामबन जैसे जिलों को उपयुक्त रोजगार और अधिक काम खोजने का अवसर दिया है। चिकित्सा सुविधाएं, शिक्षा और व्यावसायिक गतिविधियां अब अधिक सुलभ हैं। कटरा-बनिहाल में कुल 37 पुलों में से 75 प्रतिशत से अधिक और 97.6 प्रतिशत सुरंगों का काम पूरा हो गया है। अब तक अकेले इस खंड के निर्माण में 30,672.34 करोड़ रुपये की लागत आई है।
रेलवे ने 205 किलोमीटर से अधिक लंबी पहुंच सड़कों का निर्माण किया है जिसमें एक सुरंग और 320 पुल शामिल हैं। क्षेत्र के 73 गांव जहां पहले केवल पैदल या नावों द्वारा ही पहुंचा जा सकता था, अब इस रेलवे कनेक्शन के माध्यम से आसानी से पहुंचा जा सकता है। इस रेलवे निर्माण में कार्यरत 65 प्रतिशत लोग स्थानीय हैं।
137 किलोमीटर लंबे बनिहाल-बारामूला कॉरिडोर रेल लिंक के बीच कश्मीर को जल्द ही अपनी पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन मिलेगी। इस साल गांधी जयंती (2 अक्टूबर) के मौके पर कुल 324 करोड़ रुपये की लागत वाली परियोजना का उद्घाटन किया जाएगा। परियोजना में तीन मुख्य सबस्टेशन हैं- काजीगुंड, बडगाम और बारामूला। जो लाइन के ओवरहेड उपकरणों को बिजली की आपूर्ति करेंगे। लाइन पर परीक्षण 20 सितंबर को पूरा हो गया और इस बहुप्रतीक्षित परियोजना का अंतिम निरीक्षण 26 सितंबर को होगा। इस रेल लिंक के विद्युतीकरण से न केवल क्षेत्र में प्रदूषण कम होगा बल्कि 60 प्रतिशत ईंधन की भी बचत होगी। केंद्र शासित प्रदेश सरकार, भारतीय रेलवे और इंडियन रेलवे कंस्ट्रक्शन लिमिटेड अगस्त 2019 से इस परियोजना पर काम कर रहे हैं।
प्रशासन के सहयोग से भारतीय रेलवे ने महामारी बाधाओं के बावजूद सभी परियोजनाओं को समय पर पूरा करने पर जोर दिया है। दुनिया में सबसे ऊंचा मेहराबदार रेलवे पुल, चिनाब ब्रिज एक अद्भुत उपलब्धि है। 1,250 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित, चिनाब रेल ब्रिज एफिल टॉवर से 35 मीटर ऊंचा है। रेल मंत्रालय की ओर से शेयर की गई तस्वीरें पिछले हफ्ते से ट्विटर पर ट्रेंड कर रही हैं। मानसून के सुखद मौसम में, पुल लगभग ऐसा लगता है जैसे बादलों के समुद्र में डूबी किसी परीकथा से बाहर हो। पुल के तस्वीरें इतनी लुभावनी दिखती हैं, कि ट्विटर पर रेल मंत्रालय से ट्रेन की सवारी की प्री-बुकिंग के लिए जांच की गई!
पुल का निर्माण पूरा होने के बाद जल्द ही नीचे गिट्टी रहित ट्रैक बिछाने का काम शुरू हो जाएगा। इस साल के अंत या अगले की शुरूआत तक इसे जनता के लिए खोल दिया जाएगा। यह जम्मू और कश्मीर के रियासी जिले में नदी तल से 359 मीटर की ऊंचाई पर चिनाब नदी के घाट पर 1.315 किमी मेगा प्रतिष्ठित संरचना है। 785 मीटर डेक के पूर्वनिर्मित हिस्से दोनों सिरों से शुरु किए गए और फिर जुड़ गए। पुल के दो खंडों को एचएसएफजी (हाई स्ट्रेंथ फ्रिक्शन ग्रिप) बोल्ट द्वारा लगाया गया । पुल 260 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवाओं का मुकाबला कर सकता है। इंजीनियरों के लिए यह क्षेत्र के जटिल भूगोल और मौसम के प्रतिकूलताओं के खिलाफ लड़ते हुए बाधाओं से भरी यात्रा थी।
--आईएएनएस
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