iGrain India - नई दिल्ली । मित्र देस की खाद्य सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने की अपनी प्रतिबद्धता के तहत भारत सरकार ने संभवतः भूटान और मारीशस को गैर बासमती सफेद चावल का निर्यात करने का निर्णय लिया है जबकि आमतौर पर 20 जुलाई से इसके निर्यात पर प्रतिबंध लगा हुआ है।
इससे पूर्व यू एन वर्ल्ड फ़ूड प्रोग्राम तथा सिंगापुर, इंडोनेशिया एवं फिलीपींस ने भी भारत सरकार से निर्यात प्रतिबंध से छूट देने का आग्रह किया था। भूटान सरकार ने जुलाई के अंतिम दिनों में भारत सरकार से 90 हजार टन तक गैर बासमती सफेद चावल की आपूर्ति का आग्रह किया था।
इसी तरह भारत सरकार को मारीशस सरकार का एक अनुरोध पत्र मिला जिसमें 14 हजार टन चावल की आपूर्ति का आग्रह किया गया है। चूंकि भूटान और मारीशस में चावल की आपूर्ति करने में भारत सदैव अग्रणी और तत्पर रहा है इसलिए उसके आग्रह को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
यू एन वर्ल्ड फूड प्रोग्राम को भी भारत से करीब 2 लाख टन कच्चे चावल की आपूर्ति की आवश्यकता है। उधर सिंगापुर ने कहा है कि उसे भारतीय चावल की जरूरत है। भारत उसके 40 प्रतिशत चावल की जरूरत को अकेले पूरा करता है।
इंडोनेशिया सरकार ने पहले भारत से 10 लाख टन चावल की आपूर्ति के लिए एक रणनीतिक समझौता करने का प्रयास किया था और इसके लिए भारत के साथ बातचीत भी शुरू की थी। इसका उद्देश्य यह था कि यदि अल नीनो मौसम चक्र या किसी अन्य प्राकृतिक आपदाओं के प्रकोप से इंडोनेशिया में चावल (धान) का उत्पादन प्रभावित हुआ तो भारत उसे 10 लाख टन तक चावल की आपूर्ति करेगा।
लेकिन शायद यह समझौता पूरा नहीं हो सका जबकि एक समय इंडोनेशिया ने इसके पूरा होने का दावा किया था मगर भारतीय अधिकारी ने इससे इंकार किया था।
जहां तक फिलीपींस का सवाल है तो यह भारतीय चावल का परम्परागत खरीदार नहीं रहा है और वहां अधिकांश चावल का आयात वियतनाम तथा थाईलैंड से किया जाता है।
लेकिन हाल के वर्षों में उसने भारतीय चावल के प्रति कुछ दिलचस्पी दिखाई है और इसके लिए आसियान संगठन से बाहर के देशों से चावल के आयात पर सीमा शुल्क में कटौती भी कर दी है। इन सभी देशों को भारत से चावल के आयात की आवश्यकता पड़ेगी।