नई दिल्ली, 12 अप्रैल (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को यूनिटेक के पूर्व प्रमोटर संजय चंद्रा और अजय चंद्रा को जमानत याचिका दायर करने या कोई अन्य उचित निर्देश पाने के लिए आवेदन देने की अनुमति दी। शीर्ष अदालत के निर्देश पर इस समय दोनों मुंबई में दो अलग-अलग जेलों में बंद हैं। इन पर कथित रूप से घर खरीदारों से पैसे ठगने का आरोप है। मार्च 2021 में शीर्ष अदालत ने मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के आदेश पर रोक लगा दी थी और दोनों को 22 मार्च, 2021 को या उससे पहले तिहाड़ जेल अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया था।
बुधवार को प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने 13 जनवरी, 2021 को चंद्रा बंधुओं को जमानत देने के सीएमएम के आदेश को रद्द कर दिया। पीठ में शामिल न्यायमूर्ति एम.आर. शाह ने कहा कि सीएमएम का आदेश टिकाऊ नहीं था और स्पष्ट रूप से त्रुटिपूर्ण था।
चंद्रा बंधुओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने कहा कि उनके मुवक्किलों ने अब उनके खिलाफ कथित अपराधों के लिए हिरासत में पांच साल से अधिक गुजारे हैं।
पीठ ने कहा : आरोपियों ने बाद में आत्मसमर्पण कर दिया है। उन्हें इस अदालत में जाने की स्वतंत्रता दी जाती है, अगर वे जमानत या उचित निर्देश के लिए आवेदन करना चाहते हैं।
चंद्रा बंधुओं के लिए जमानत की मांग करते हुए दवे ने दलील दी कि उन्होंने शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री में 750 करोड़ रुपये जमा करने के लिए निर्धारित शर्त को भी पूरा किया है। शीर्ष अदालत ने अक्टूबर 2017 में चंद्रा बंधुओं को जमानत देने की पूर्व शर्त के रूप में 750 करोड़ रुपये जमा करने को कहा था।
हालांकि, पीठ ने कहा कि 750 करोड़ रुपये जमा कराने का पहले भी तर्क दिया गया था, लेकिन इसे अदालत ने खारिज कर दिया था। इसमें कहा गया है कि अदालत द्वारा बताई गई समय सीमा का पालन करने में उल्लंघन हुआ है और जमा की गई राशि अदालत द्वारा नियुक्त समिति के तहत यूनिटेक लिमिटेड की संपत्तियों के मुद्रीकरण का परिणाम है।
दवे ने प्रस्तुत किया कि उनके मुवक्किलों को असीम रूप से जमानत से वंचित नहीं किया जा सकता है और कुछ सहारा देना होगा, और जोर देकर कहा कि उन्होंने हिरासत में पांच साल और सात महीने से अधिक समय तक सेवा की है।
यूनिटेक के पूर्व प्रमोटरों और कंपनी के अन्य अधिकारियों के खिलाफ दिल्ली पुलिस, सीबीआई और ईडी द्वारा कई मामले दर्ज किए गए हैं।
--आईएएनएस
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