iGrain India - करनाल । भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान के निदेशक का कहना है कि पंजाब, उत्तर प्रदेश एवं हरियाणा जैसे राज्यों में खरीफ कालीन धान तथा गन्ना फसल की कटाई की कटाई में देर होने से गेहूं की बिजाई कुछ पिछड़ गई लेकिन आगामी सप्ताहों के दौरान बिजाई की गति तेज होने की उम्मीद है।
भारत में गेहूं का उत्पादन केवल रबी सीजन में होता है। निदेशक के अनुसार इस बार किसानों को गेहूं के उन्नत बीज का वितरण किया गया है जिसमें ऊंचे तापमान को बर्दाश्त करने की अधिक क्षमता होती है।
जनवरी-मार्च की तिमाही के दौरान अल नीनो मौसम चक्र के प्रकोप से तापमान सामान्य स्तर से ऊपर रहने की संभावना व्यक्त की गई है जिससे गेहूं की फसल प्रभावित हो सकती है मगर इस बार तापमान रोधी किस्म के बीज की अधिक खेती होने से ज्यादा असर नहीं पड़ना चाहिए।
केन्द्र सरकार ने यद्यपि गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 2022-23 सीजन के 2125 रुपए प्रति क्विंटल से 150 रुपए बढ़ाकर 2023-24 सीजन के लिए 2275 रूपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है लेकिन खुले बाजार में भाव इससे 20-25 प्रतिशत ऊपर चल रहा है जिससे गेहूं की खेती में किसानों का उत्साह एवं आकर्षण बढ़ सकता है।
लेकिन गेहूं का क्षेत्रफल मौसम एवं बारिश पर निर्भर करेगा। कुछ राज्यों में बारिश कम होने से खेतों में नमी का अभाव है जबकि आगे वर्षा की हालत अनिश्चित है। किसान गेहूं की खेती में ज्यादा सक्रियता वहां दिखाएंगे इसमें संदेह है।
जनवरी-मार्च का ऊंचा तापमान गेहूं की औसत उपज दर एवं क्वालिटी को प्रभावित कर सकता है। वैसे भी पंजाब में 15 नवम्बर तक की आदर्श अवधि के दौरान नियत लक्ष्य के केवल आधे भाग में ही गेहूं की बिजाई संभव हो सकी।
इसके बाद होने वाली बिजाई के तहत गेहूं की उपज दर में गिरावट आ सकती है। वर्ष 2022 तथा 2023 के दौरान गेहूं की उपज दर में गिरावट दर्ज की जा चुकी है। इससे कुल उत्पादन घट गया और सरकार को गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के लिए विवश होना पड़ा।