🤑 इससे ज़्यादा किफ़ायती कुछ नहीं है। ब्लैक फ्राइडे पर 60% की छूट का लाभ उठाएँ, इससे पहले कि यह खत्म हो जाए…सेल को क्लेम करें

आनंद मोहन की रिहाई पर बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, पीड़ित के स्‍टेटस के आधार पर भेदभाव मिटाने के लिए बदले नियम

प्रकाशित 15/07/2023, 01:10 am
आनंद मोहन की रिहाई पर बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, पीड़ित के स्‍टेटस के आधार पर भेदभाव मिटाने के लिए बदले नियम

नई दिल्ली, 14 जुलाई (आईएएनएस)। बिहार सरकार ने गैंगस्टर से नेता बने आनंद मोहन सिंह की समयपूर्व रिहाई को चुनौती देने वाली याचिका के जवाब में सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पीड़ित के स्‍टेटस के आधार पर भेदभाव को दूर करने के लिए नियमों में बदलाव किए गए थे। आईएएस अधिकारी जी. कृष्णैया की विधवा ने उच्‍चतम न्‍यायालय में याचिका दायर की थी जिनकी हत्‍या के आरोप में आनंद मोहन जेल में था।शीर्ष अदालत के समक्ष दायर अपने जवाबी हलफनामे में राज्‍य सरकार ने कहा, “आम जनता या लोक सेवक की हत्या की सज़ा एक समान है। एक ओर, आम जनता की हत्या के दोषी आजीवन कारावास की सजा पाने वाले कैदी को समय से पहले रिहाई के लिए पात्र माना जाता है और दूसरी तरफ किसी लोक सेवक की हत्या के दोषी आजीवन कारावास की सजा पाने वाले कैदी को समय से पहले रिहाई के लिए विचार किए जाने के लिए पात्र नहीं माना जाता है। पीड़ित की सामाजिक स्थिति के आधार पर भेदभाव को दूर करने का प्रयास किया गया है।''

इसमें कहा गया है, “राज्य दोषियों को छूट देने को विनियमित करने के लिए छूट नीति बनाता है। ऐसी कोई भी नीति दोषी को केवल कुछ लाभ और अधिकार प्रदान करती है। यह पीड़ित का कोई अधिकार नहीं छीनती है। इसलिए, कोई पीड़ित अनुच्छेद 32 के तहत याचिका दायर करने के मौलिक अधिकारों के उल्लंघन का दावा नहीं कर सकता है।”

बिहार जेल नियमावली में संशोधन के बाद आनंद मोहन सिंह को सहरसा जेल से रिहा कर दिया गया।

इससे पहले, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी की पीठ ने जी कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी किया था। इसने बिहार सरकार को पूर्व सांसद को दी गई छूट के संबंध में मूल रिकॉर्ड पेश करने का निर्देश दिया।

याचिका में कहा गया है कि आनंद मोहन सिंह को दी गई आजीवन कारावास की सजा का मतलब उनके पूरे जीवन के लिए जेल में रहना है, और आरोप लगाया कि बिहार सरकार ने बिहार जेल मैनुअल, 2012 में 10 अप्रैल 2023 के संशोधन के माध्यम से पूर्वव्यापी प्रभाव से संशोधन किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दोषी को सजा माफी का मिल सके।

गोपालगंज के तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट कृष्णैया को 1994 में भीड़ ने उस समय पीट-पीटकर मार डाला था, जब उनके वाहन ने गैंगस्टर छोटन शुक्ला के अंतिम संस्कार के जुलूस से आगे निकलने की कोशिश की थी। भीड़ को आनंद मोहन सिंह ने उकसाया था।

--आईएएनएस

एकेजे

नवीनतम टिप्पणियाँ

हमारा ऐप इंस्टॉल करें
जोखिम प्रकटीकरण: वित्तीय उपकरण एवं/या क्रिप्टो करेंसी में ट्रेडिंग में आपके निवेश की राशि के कुछ, या सभी को खोने का जोखिम शामिल है, और सभी निवेशकों के लिए उपयुक्त नहीं हो सकता है। क्रिप्टो करेंसी की कीमत काफी अस्थिर होती है एवं वित्तीय, नियामक या राजनैतिक घटनाओं जैसे बाहरी कारकों से प्रभावित हो सकती है। मार्जिन पर ट्रेडिंग से वित्तीय जोखिम में वृद्धि होती है।
वित्तीय उपकरण या क्रिप्टो करेंसी में ट्रेड करने का निर्णय लेने से पहले आपको वित्तीय बाज़ारों में ट्रेडिंग से जुड़े जोखिमों एवं खर्चों की पूरी जानकारी होनी चाहिए, आपको अपने निवेश लक्ष्यों, अनुभव के स्तर एवं जोखिम के परिमाण पर सावधानी से विचार करना चाहिए, एवं जहां आवश्यकता हो वहाँ पेशेवर सलाह लेनी चाहिए।
फ्यूज़न मीडिया आपको याद दिलाना चाहता है कि इस वेबसाइट में मौजूद डेटा पूर्ण रूप से रियल टाइम एवं सटीक नहीं है। वेबसाइट पर मौजूद डेटा और मूल्य पूर्ण रूप से किसी बाज़ार या एक्सचेंज द्वारा नहीं दिए गए हैं, बल्कि बाज़ार निर्माताओं द्वारा भी दिए गए हो सकते हैं, एवं अतः कीमतों का सटीक ना होना एवं किसी भी बाज़ार में असल कीमत से भिन्न होने का अर्थ है कि कीमतें परिचायक हैं एवं ट्रेडिंग उद्देश्यों के लिए उपयुक्त नहीं है। फ्यूज़न मीडिया एवं इस वेबसाइट में दिए गए डेटा का कोई भी प्रदाता आपकी ट्रेडिंग के फलस्वरूप हुए नुकसान या हानि, अथवा इस वेबसाइट में दी गयी जानकारी पर आपके विश्वास के लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं होगा।
फ्यूज़न मीडिया एवं/या डेटा प्रदाता की स्पष्ट पूर्व लिखित अनुमति के बिना इस वेबसाइट में मौजूद डेटा का प्रयोग, संचय, पुनरुत्पादन, प्रदर्शन, संशोधन, प्रेषण या वितरण करना निषिद्ध है। सभी बौद्धिक संपत्ति अधिकार प्रदाताओं एवं/या इस वेबसाइट में मौजूद डेटा प्रदान करने वाले एक्सचेंज द्वारा आरक्षित हैं।
फ्यूज़न मीडिया को विज्ञापनों या विज्ञापनदाताओं के साथ हुई आपकी बातचीत के आधार पर वेबसाइट पर आने वाले विज्ञापनों के लिए मुआवज़ा दिया जा सकता है।
इस समझौते का अंग्रेजी संस्करण मुख्य संस्करण है, जो अंग्रेजी संस्करण और हिंदी संस्करण के बीच विसंगति होने पर प्रभावी होता है।
© 2007-2024 - फ्यूजन मीडिया लिमिटेड सर्वाधिकार सुरक्षित