iGrain India - मेलबोर्न । राष्ट्रीय सामुद्रिक एवं जलवायु प्रशासन (नोआ) के विशेषज्ञों ने जून के आरंभ में कहा था कि तीन वर्षों से चला आ रहा ला नीना मौसम चक्र समाप्त हो चुका है और प्रशांत महासागर में अल नीनो मौसम चक्र का विकास हो चुका है।
यह देखना आवश्यक होगा कि इस बार का अल नीनो काफी मजबूत एवं विस्तृत रहता है या सामान्य तथा सीमित अवधि के लिए आता है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह अल नीनो काफी शक्तिशाली रह सकता है।
इसका विकास बड़ी जल्दी-जल्दी हो रहा है। उधर सस्काटून (कनाडा) के एक मौसम वैज्ञानिक ने कहा है कि पहले ला नीना के समाप्त होने तथा अल नीनो के आने के बीच की अवधि में ट्रांजिशन की गति काफी धीमी रहती थी लेकिन इस बार ऐसा लगता है कि अल नीनो के निर्माण एवं विकास की प्रक्रिया बहुत कम दिनों में पूरी हो गई।
बड़ी तेजी से इसका निर्माण हुआ और अब यह तेजी से आगे भी बढ़ रहा है। ऐसा प्रतीत होता है कि इसमें काफी ताकतवर बनने की क्षमता मौजूद है।
उल्लेखनीय है कि पूर्वी ट्रॉपिकल प्रशांत क्षेत्र में जब सतह का पानी सामान्य औसत से ज्यादा गर्म हो जाता है तब अल नीनो मौसम चक्र का जन्म और विकास होता है।
इसका प्रभाव दुनिया के अनेक देशों पर पड़ता है जिसमें ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण एशिया, दक्षिण पूर्व एवं सुदूर- पूर्व एशिया से लेकर लैटिन अमरीका तक के देश शामिल हैं।
विशेषज्ञों के मुताबिक जब अल नीनो काफी ताकतवर होता है तभी पूरी दुनिया को प्रभावित करने में सफल रहता है। अंतिम बार शक्तिशाली अल नीनो वर्ष 2015 में आया था।
ऑस्ट्रेलिया पर इस अल नीनो का गहरा प्रतिकूल असर पड़ने की संभावना है जिससे वहां गेहूं के उत्पादन में करीब 25 प्रतिशत की भारी गिरावट आने की आशंका है।
2022-23 सीजन के दौरान वहां गेहूं का उत्पादन तेजी से उछलकर 397 लाख टन के सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया था जबकि 2023-24 के सीजन में करीब 107 लाख टन की जबरदस्त गिरावट आने की संभावना है।
अमरीकी कृषि विभाग की विदेश कृषि सेवा ने चालू सीजन के दौरान ऑस्ट्रेलिया में गेहूं का उत्पादन घटकर 290 लाख टन पर सिमटने का अनुमान लगाया है।
अल नीनो का असर भारत, इंडोनेशिया, मलेशिया, थाईलैंड एवं वियतनाम के साथ-साथ ब्राजील पर भी पड़ने की संभावना है जिससे धान (चावल), चीनी एवं पाम तेल सहित कई अन्य कृषि उत्पादों के उत्पादन प्रभावित हो सकता है। पाम तेल का उत्पादन अगले वर्ष घट सकता है।