जमशेदपुर, 5 जुलाई (आईएएनएस)। झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के चार प्रखंडों में करीब ढाई सौ हाथियों ने पिछले तीन महीनों से तबाही मचा रखी है। 100 से भी ज्यादा गांवों में हाथियों का दल आज यहां तो कल वहां उत्पात मचा रहा है। खौफ का आलम यह है कि इन गांवों में रात का अघोषित कर्फ्यू लागू हो गया है।किसान हाथियों के डर से खेती नहीं कर पा रहे हैं। हजारों बच्चों ने स्कूल जाना छोड़ दिया है। फरवरी से लेकर अब तक आठ लोग हाथियों के हमले में मारे गए हैं। एक दर्जन से ज्यादा लोग घायल हुए हैं।
जिले के चार प्रखंडों चाकुलिया, बहरागोड़ा, घाटशिला और धालभूमगढ़ की 19-20 पंचायतें हाथियों के उत्पात से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। ये चारों प्रखंड झारखंड-पश्चिम बंगाल की सीमा पर स्थित हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि ये हाथी पश्चिम बंगाल से खदेड़कर झारखंड के इलाके में भेजे गए हैं। पश्चिम बंगाल ने हाथियों को वापस आने से रोकने के लिए अपनी सीमाओं पर गहरे नाले खोद दिए हैं। नहरों और हाईवे ने भी हाथियों के विचरण के नेचुरल कॉरिडोर को बाधित कर दिया है। नतीजतन हाथी इसी क्षेत्र में घूम रहे हैं।
आहार और पानी की तलाश में हाथी इलाके की राइस मिलों, अनाज गोदाम, स्कूलों और लोगों के घरों पर हमला बोल रहे हैं। स्कूलों में रखा मिड डे मिल का अनाज चट कर रहे हैं।
बीते रविवार-सोमवार को हाथियों के झुंड ने चाकुलिया के जमुआ स्थित सरकारी मिडिल स्कूल और कोटमासारा प्राइमरी स्कूलों के दरवाजे और खिड़की तोड़ दिए। हाथियों ने चाकुलिया की हवाई पट्टी के पास स्थित एफसीआई के अनाज गोदाम का मुख्य गेट तोड़ दिया।
उन्होंने गोदाम का शटर भी क्षतिग्रस्त कर दिया, लेकिन वहां तक नहीं पहुंच पाए, जहां अनाज रखा था।
इसके पहले चौठिया गांव स्थित बजरंग बली राइस मिल में घुसकर हाथी कई बोरा चावल खा गए। चाकुलिया प्रखंड के सरडीहा, कालापाथर, लोधाशोली, बड़ामारा, जमुआ, कालियाम, श्यामसुंदरपुर, चंदनपुर, भातकुंडा, बहरागोड़ा प्रखंड के गोपालपुर, सांडरा, खेड़ुआ, भूतिया, मानुषमुड़िया, पाथरा, धालभूमगढ़ के महुलीशोल, चुकरीपाड़ा, रावपाड़ा, जुगीशोल और घाटशिला के आसना, बांकी, भदुआ पंचायतों के दर्जनों गांव हाथियों के आतंक से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।
वन विभाग का कहना है कि हाथियों को जंगलों की तरफ भेजने के लिए क्विक रिस्पांस टीमें लगाई गई हैं। छेड़छाड़ की वजह से हाथी ज्यादा आक्रामक हुए हैं।
वन विभाग के आरसीसीएफ रवि रंजन ने बताया कि हाथियों के आतंक पर नियंत्रण के लिए पश्चिम बंगाल और उड़ीसा के वन विभाग के अफसरों के साथ लगातार बैठकें हो रही हैं। उन्होंने कहा कि हाईवे और नहरें बन जाने से हाथियों का कॉरिडोर डिस्टर्ब हुआ है।
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