iGrain India - नई दिल्ली । सरकार ने केन्द्रीय बफर स्टॉक से तुवर की मात्रा अवस्थित एवं लक्ष्यांकित तरीके से जारी करने का निर्णय लिया है। घरेलू बाजार में विदेशों से आयातित तुवर की खेप पहुंचने तक सरकारी स्टॉक की तुवर की बिक्री जारी रखी जा सकती है।
उपभोक्ता मामले विभाग द्वारा नैफेड तथा एमसीसीएफ को तुवर का स्टॉक उतारने का निर्देश दिया गया है। यह दलहन ऑनलाइन नीलामी विधि के जरिए पात्र मिलर्स को उपलब्ध करवाया जाएगा ताकि मिलिंग के लिए तुवर की उपलब्धता बढ़ सके और आम उपभोक्ताओं को इसकी पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित हो सके।
उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर तुवर दाल की आपूर्ति पर स्टॉक निकासी के प्रभाव का आंकलन करने के बाद इसकी आगे की मात्रा एवं बारंबारता निर्धारित की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने 2 जून 2023 को तुवर एवं उड़द पर भंडारण सीमा लागू की थी जिसका उद्देश्य जमाखोरी एवं अटकल बाजियों पर रोक लगाना था और घरेलू प्रभाग में इन दोनों दलहनों की आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाना था।
यह भंडारण सीमा देश के सभी राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों में 31 अक्टूबर 2023 तक लागू रहेगी। इसके तहत थोक विक्रेताओं के लिए अधिकतम 200 टन तथा रिटेलर्स के लिए 5 टन, प्रत्येक रिटेल आउटलेट के लिए 5 टन तथा बिग चेन रिटेलर्स के लिए डिपो पर 200 टन का स्टॉक मौजूद रह सकता है। इसके अलावा दाल मिलर्स के लिए भी स्टॉक सीमा नियत की गई है।
भंडारण सीमा के आदेश में कहा गया है कि प्रत्येक सम्बद्ध पक्ष को सरकारी पोर्टल पर अपने स्टॉक का विवरण नियमित रूप से डालना अनिवार्य होगा। सरकार द्वारा निरंतर इस स्टॉक विवरण का निरीक्षण एवं आंकलन किया जाएगा।
सरकार अपने स्टॉक से सुपात्र दाल मिलर्स को ई-नीलामी के माध्यम से तुवर उपलब्ध करवाएगी और मिलर्स उसकी प्रोसेसिंग करके घरेलू बाजार में तुवर दाल की बिक्री करेंगे जिससे इसकी कीमतों पर दबाव बढ़ने की संभावना है।
ध्यान देने की बात है कि अफ्रीकी देशों से भारत में अगस्त-सितम्बर से तुवर का आयात बढ़ना शुरू हो जाएगा। इसका मतलब यह हुआ कि केन्द्र सरकार (या उसकी एजेंसियां) जुलाई से लेकर मध्य अगस्त तक दाल मिलों को साबुत तुवर उपलब्ध करवा सकती है।
घरेलू प्रभाग में अरहर (तुवर) की खेती पहले ही आरंभ हो चुकी है मगर अब तक इसका क्षेत्रफल गत वर्ष से पीछे चल रहा है। अब मानसून ने करवट बदली है जिससे बिजाई की रफ्तार बढ़ने की उम्मीद है। 2022-23 के सीजन में घरेलू उत्पादन घटने से तुवर का भाव उछलकर काफी ऊंचे स्तर पर पहुंच गया।