नई दिल्ली, 14 मार्च (आईएएनएस)। अमेरिका स्थित प्रौद्योगिकी स्टार्टअप एक्सेलरेटर वाई कॉम्बीनेटर 20 प्रतिशत यानी 17 कर्मचारियों की छंटनी कर रहा है। दरअसल, कंपनी ने लेट-स्टेज फंडिंग को कम करने की घोषणा की है।वाई कॉम्बीनेटर ने भारत में कम से कम 200 समेत हजारों स्टार्टअप में निवेश किया है। सिलिकॉन वैली बैंक (एसवीबी) के पतन के मद्देनजर अमेरिकी ट्रेजरी सचिव जेनेट येलेन और अन्य को एक याचिका लिखी गई, जिसमें उन्हें शॉकवेव्स को रोकने के लिए कहा गया। इससे वित्तीय संकट और 100,000 से अधिक कर्मचारियों की छंटनी हो सकती है।
कंपनी ने कहा कि एसवीबी के दिवालिया होने से पहले छंटनी की योजना बनाई गई थी।
वाई कॉम्बीनेटर के सीईओ गैरी टैन ने एक बयान में कहा कि वाईसी सही मायने में प्रारंभिक चरण के निवेश के लिए जाना जाता है।
उन्होंने कहा, हाल के वर्षों में, हमने कुछ अंतिम चरण का निवेश भी किया है। लेकिन बाद के चरण का निवेश शुरूआती चरण के निवेश से इतना अलग निकला कि हमने पाया कि यह हमारे मूल मिशन से ध्यान भटकाने वाला है। इसलिए हम अपने द्वारा किए जाने वाले अंतिम चरण के निवेश की मात्रा को कम करने जा रहे हैं।
टैन ने लिखा, हमें अब अंतिम चरण के निवेश करने वाली टीम में कुछ लोगों की आवश्यकता नहीं होगी। हमारे टीम के 17 साथी आज प्रभावित हैं।
वाईसी के सीईओ ने कहा, वाईसी को मुख्य रूप से एक ऐसी जगह के रूप में जाना जाता है, जहां बहुत शुरूआती फाउंडर्स केवल ऑनलाइन आवेदन करके और दुनिया के बेस्ट फाउंडर कॉम्यूनिटी में शामिल होकर शून्य से आगे बढ़ते हैं।
स्टार्टअप और सैकड़ों हजारों नौकरियों को बचाने के लिए 56,000 से अधिक कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले 1,200 से अधिक सीईओ और संस्थापकों ने वाईसी याचिका पर हस्ताक्षर किए।
वाई कॉम्बिनेटर कॉन्यूनिटी में, एसवीबी के संपर्क में आने वाले एक-तिहाई स्टार्टअप ने एसवीबी को अपने एकमात्र बैंक अकाउंट के रूप में उपयोग किया।
--आईएएनएस
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