नई दिल्ली, 10 दिसंबर (आईएएनएस)। जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन में भारत ने 2030 तक 50 प्रतिशत गैर-जीवाश्म आधारित स्थापित बिजली क्षमता और नवीकरणीय ऊर्जा हासिल करने के लिए प्रतिबद्धता जताई है। यह जानकारी ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने बुधवार को संसद में दी।
भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह बिजली की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए कोयले से चलने वाले संयंत्रों का उपयोग जारी रखेगा, इसके कारण चालू वित्त वर्ष में कोयले की खपत 8 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है। साथ ही देश तीव्र गति से स्वच्छ ऊर्जा की ओर भी बढ़ रहा है, जो दुनिया में सबसे तेज़ गति में से एक है।
सिंह ने कहा कि भारत की कुल स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता में गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों की हिस्सेदारी 31 अक्टूबर, 2023 तक 43.82 प्रतिशत तक पहुंच गई।
31 अक्टूबर, 2023 तक देश में गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा संसाधनों से कुल 186.46 गीगावॉट क्षमता स्थापित की गई है, इसमें 178.98 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा और 7.48 गीगावॉट परमाणु ऊर्जा शामिल है। मंत्री ने कहा, इसके अलावा, 114.08 गीगावॉट क्षमता कार्यान्वयन के है और 55.13 गीगावॉट क्षमता निविदा के अधीन है।
देश के सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में नवीकरणीय ऊर्जा कार्यक्रम/परियोजनाएं कार्यान्वित की जा रही हैं और देश में नवीकरणीय ऊर्जा के विकास को बढ़ावा देने के लिए निम्नलिखित विशिष्ट उपाय/कदम उठाए गए हैं।
* स्वचालित मार्ग के तहत 100 प्रतिशत तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति।
* 30 जून 2025 तक चालू होने वाली परियोजनाओं के लिए सौर और पवन ऊर्जा की अंतर-राज्यीय बिक्री के लिए अंतरराज्यीय ट्रांसमिशन सिस्टम शुल्क में छूट।
* 2029-30 तक वितरण कंपनियों सहित नामित उपभोक्ताओं द्वारा गैर-जीवाश्म संसाधनों की खपत का न्यूनतम हिस्सा निर्दिष्ट करना।
* बड़े पैमाने पर आरई परियोजनाओं की स्थापना के लिए आरई डेवलपर्स को भूमि और ट्रांसमिशन प्रदान करने के लिए अल्ट्रा मेगा नवीकरणीय ऊर्जा पार्क की स्थापना।
* नवीकरणीय ऊर्जा की निकासी के लिए ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर योजना के तहत नई ट्रांसमिशन लाइनें बिछाना और नई सब-स्टेशन क्षमता बनाना।
* सरकार ने आदेश जारी किए हैं कि एक्सचेंजों के माध्यम से नवीकरणीय ऊर्जा बिजली की बिक्री की सुविधा के लिए आरई जनरेटर ग्रीन टर्म अहेड मार्केट (जीटीएएम) को वितरण लाइसेंसधारियों द्वारा समय पर भुगतान सुनिश्चित करने के लिए बिजली क्रेडिट पत्र या अग्रिम भुगतान के आधार पर भेजी जाएगी।
* भारत को ग्रीन हाइड्रोजन और उसके डेरिवेटिव के उत्पादन, उपयोग और निर्यात के लिए एक वैश्विक केंद्र बनाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन शुरू किया गया। केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा और ऊर्जा मंत्री ने बताया कि इससे 2030 तक प्रति वर्ष 5 एमएमटी ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता विकसित होने की उम्मीद है।
ग्रीन हाइड्रोजन में प्राकृतिक गैस सहित जीवाश्म ईंधन को ऊर्जा के स्रोत के रूप में या फीडस्टॉक के रूप में प्रतिस्थापित करने की क्षमता है, इससे जीवाश्म ईंधन के आयात पर निर्भरता में कमी आएगी।
मिशन में उर्वरक उत्पादन, पेट्रोलियम रिफाइनिंग, स्टील, शिपिंग इत्यादि जैसे उद्योगों में ग्रीन हाइड्रोजन के साथ ग्रे हाइड्रोजन के प्रतिस्थापन की परिकल्पना की गई है, इससे कार्बन पदचिह्न और आयातित जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम हो जाएगी। आयात में इस तरह की कमी की मात्रा 2030 तक 1 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है।
सरकार स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए छोटे परमाणु रिएक्टरों जैसी नई प्रौद्योगिकियों पर भी काम कर रही है।
छोटी क्षमता वाले परमाणु ऊर्जा संयंत्र, जिन्हें लोकप्रिय रूप से छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (एसएमआर) कहा जाता है, मॉड्यूलरिटी, स्केलेबिलिटी, छोटे पदचिह्न और बेहतर सुरक्षा की अपनी अनूठी विशेषताओं के साथ खुद को सेवानिवृत्त कोयला आधारित थर्मल पावर स्टेशन साइटों के पुन: उपयोग के लिए एक आकर्षक विकल्प के रूप में प्रस्तुत करते हैं। राज्य मंत्री परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष मंत्री जितेंद्र सिंह ने बुधवार को संसद को यह जानकारी दी।
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय नवीकरणीय ऊर्जा के विकास और तैनाती के लिए विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों को कार्यान्वित कर रहा है, इसके तहत 2022-23 में 7,033 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था जिसे बाद में 2023-24 के लिए बढ़ाकर 7,848 करोड़ रुपये कर दिया गया।
--आईएएनएस
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