पोरबंदर/नई दिल्ली, 25 नवंबर (आईएएनएस)। पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा किए गए घातक आतंकी हमले से देश की वित्तीय राजधानी को हिलाकर रख देने वाले 15 साल बीत चुके हैं, लेकिन अजमल कसाब सहित आतंकवादियों ने मुंबई पहुंचने के लिए जिस ट्रॉलर का इस्तेमाल किया था, वह अब भी गुजरात में पोरबंदर के बंदरगाह के एक कोने में खड़ा है। विनोद ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, "ट्रॉलर को 2009 में मुंबई आतंकवादी हमले के कुछ ही महीनों बाद पोरबंदर वापस लाए जाने के बाद से अपतटीय लाया गया और वहीं रखा गया है।"
विनोद ने अफसोस जताते हुए कहा, "हम इससे कुछ भी नहीं कमा पाए। और इससे हमें भारी नुकसान ही हुआ है।"
मुंबई में 26/11 के हमले को अंजाम देने के लिए लश्कर-ए-तैयबा के ऑपरेटिव और आठ अन्य आतंकवादियों द्वारा 'कुबेर' का अपहरण कर लिया गया था।
26 नवंबर, 2008 को हमला शुरू करने से कुछ दिन पहले अजमल कसाब और उसके साथियों ने गुजरात तट से नाव का अपहरण कर लिया था।
उन्होंने कहा, "और एक बार जब यह पोरबंदर वापस आ गई, तो कोई भी व्यक्ति इसे दोबारा चलाने का साहस नहीं दिखा सका, क्योंकि उन्हें लगता है कि यह एक अपशकुन का प्रतीक है।"
उन्होंने आगे कहा कि नाव से उन्हें केवल घाटा हो रहा है, क्योंकि किनारे पर भी इसे बनाए रखने में बहुत खर्च होता है।
सरकार से मदद की अपील करते हुए विनोद ने कहा, ''सरकार को मेरे बारे में जरूर सोचना चाहिए, क्योंकि इसमें मैंने अपना सब कुछ खो दिया है।
इस बीच, पोरबंदर मछुआरे और नाव संघ के पूर्व अध्यक्ष मनीष लोधारी ने कहा कि 2008 के आतंकवादी हमलों के बाद नाव 'कुबेर' फिर कभी समुद्र में नहीं चल सकेगी।
उन्होंने कहा कि लोगों ने इसे 'टेरर बोट' का नाम दे दिया है।
लोधारी ने कहा, "विनोद मसानी ने ट्रॉलर को कई बार समुद्र में ले जाने की कोशिश की, लेकिन उनके सारे प्रयास बेकार चले गए क्योंकि लोग हस्ताक्षर करने के लिए तैयार नहीं थे क्योंकि वे आतंकी नाव के चालक दल का हिस्सा बनने के लिए आश्वस्त नहीं थे।"
लोधारी ने यह भी याद किया कि पोरबंदर में पहले मछली पकड़ने के लिए लगभग 5,000 नावें चलती थीं।
उन्होंने कहा, "हालांकि, अब यह संख्या घटकर करीब 2,500 रह गई है। करीब 1,200 नावें पाकिस्तान के कब्जे में हैं और करीब 200 मछुआरे भी पाकिस्तान में बंद हैं।"
उन्होंने कहा कि इस साल दिवाली के दौरान पाकिस्तान से करीब 100 मछुआरों को रिहा किया गया और उन्हें वापस लाया गया।
--आईएएनएस
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