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राष्ट्रीय राजनीति की पाठशाला है दिल्ली विवि छात्र संघ चुनाव

प्रकाशित 17/09/2023, 06:22 pm
राष्ट्रीय राजनीति की पाठशाला है दिल्ली विवि छात्र संघ चुनाव

नई दिल्ली, 17 सितंबर (आईएएनएस)। दिल्ली विश्वविद्यालय न केवल देश का सबसे बड़ा केंद्रीय विश्वविद्यालय है, बल्कि यहां छात्र संघ व छात्र संघ चुनाव को राजनीति की पाठशाला भी माना जाता है। दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) से राजनीति का सफर शुरू करने वाले अरुण जेटली, अजय माकन, विजय गोयल व सुभाष चोपड़ा जैसे नेता देश की राजनीति में बड़े मुकाम तक पहुंचे।एबीवीपी और फिर भाजपा के नेता रहे दिवंगत अरुण जेटली देश के जाने-माने वकील भी रहे हैं। वह भारतीय क्रिकेट बोर्ड मैं भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। विभिन्न विधानसभा चुनाव के दौरान उनको प्रभारी भी बनाया जाता था। वहीं एनएसयूआई से डूसू अध्यक्ष बने कांग्रेस के अजय माकन भी लगभग इसी मुकाम पर हैं। वह विधायक बने, दिल्ली सरकार में मंत्री, विधानसभा अध्यक्ष, लोकसभा के दो बार सांसद बनने के दौरान केंद्र सरकार में मंत्री और कांग्रेस के महासचिव भी बन चुके हैं।

भाजपा के ही विजय गोयल तीन बार लोकसभा व एक बार राज्यसभा सांसद रहने के साथ-साथ केंद्र सरकार में मंत्री भी रहे। वो भाजपा संगठन में महत्वपूर्ण पदों पर भी रह चुके हैं। इसके अलावा भी कई कामयाब नेता जैसे विजय जौली, अमृता धवन, अलका लांबा, अनिल झा व रोहित चौधरी ने दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ से राजनीति की सक्रिय शुरुआत की।

एक और जहां अरुण जेटली, अजय माकन व विजय गोयल जैसे धुरंधर नेता राष्ट्रीय राजनीति का चेहरा बने तो वहीं दूसरी ओर डूसू से राजनीति सफर शुरू करने वाले छात्रों ने बाद में नगर निगम और विधानसभा का सफर तय किया।

विश्वविद्यालय प्रशासन के मुताबिक यहां छात्र संघ चुनावों की शुरुआत 1954 में हुई। पूर्व वित्त मंत्री व दिवंगत अरुण जेटली अपने छात्र जीवन में डूसू अध्यक्ष थे। यहां से उनका सक्रिय राजनीतिक जीवन शुरू हुआ और वह अटल बिहारी वाजपेयी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकारों में केंद्रीय मंत्री बने।

भारतीय जनता पार्टी के सांसद विजय गोयल भी 1978 में डूसू के अध्यक्ष थे। वह अटल बिहारी वाजपयी की सरकार में केंद्रीय मंत्री थे।

छात्र राजनीति को नजदीक से देखने वाले प्रोफेसर ज्ञान त्रिपाठी के मुताबिक दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव से देश के युवाओं और छात्रों का रुझान जानने का अवसर मिलता है।

प्रोफेसर त्रिपाठी के मुताबिक ऐसे में अगले साल वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ का इस साल के चुनाव में युवाओं और छात्रों के मूड की महत्वपूर्ण जानकारी मिलेगी।

यहां दिल्ली विश्वविद्यालय में एबीवीपी और एनएसयूआई में सीधी टक्कर है। एबीवीपी और एनएसयूआई दोनों ने ही छात्रसंघ के लिए अपने पैनल घोषित कर दिए हैं। एबीवीपी ने अध्यक्ष पद पर मुकाबले के लिए तुषार डेढ़ा, उपाध्यक्ष पद पर सुशांत धनकड़, सचिव पद पर अपराजिता और सह-सचिव पद पर सचिन बैंसला को मैदान में उतारा है।

वहीं एनएसयूआई की ओर से अध्यक्ष पद पर हितेश गुलिया, उपाध्यक्ष के लिए अभि दहिया, सचिव पर यक्ष्ना शर्मा और संयुक्त सचिव पर शुभम चौधरी चुनाव लड़ेंगे।

बीते डूसू चुनाव में एबीवीपी अपना वर्चस्व स्थापित करने में कामयाब रही थी।

वर्ष 2008-09 में एबीवीपी से डूसू अध्यक्ष बनी नुपुर शर्मा बीजेपी दिल्ली की प्रवक्ता थी। एनएसयूआई की बात करें तो यहां से सुभाष चोपड़ा, अलका लांबा, शालू मलिक, अमृता धवन, रोहित चौधरी जैसे छात्र नेताओं ने राष्ट्रीय और दिल्ली की राजनीति में भी मुकाम हासिल किया है।

1995 में डूसू अध्यक्ष रहीं अलका लांबा आम आदमी पार्टी से विधायक बनीं। अब वह कांग्रेस प्रवक्ता हैं। 2006 में अध्यक्ष बनीं अमृता धवन पार्षद चुनी गईं। रोहित चौधरी एनएसयूआई से 2003-04 में डूसू अध्यक्ष थे और बाद में एआईसीसी के राष्ट्रीय सचिव बने।

छात्र राजनीति से जुड़े राजनीतिक पंडित मानते हैं कि डूसू अध्यक्ष से अपना राजनीतिक जीवन शुरू करने वाले नेताओं में दिवंगत अरुण जेटली, अजय माकन व विजय गोयल सबसे अधिक सफल रहे। ये तीनों नेता केंद्रीय मंत्री बने थे। 1970 में डूसू अध्यक्ष रहे सुभाष चोपड़ा दिल्ली के विधायक बने। आलोक कुमार हरीशंकर गुप्ता, विजय जौली, अल्का लांबा और अनिल झा भी विधायक रह चुके हैं।

--आईएएनएस

जीसीबी/एसकेपी

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