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भारत को नेतृत्व करने की जरूरत, तस्करी के खिलाफ वैश्विक एजेंडा करें तय : थिंक चेंज फोरम

प्रकाशित 27/01/2023, 06:55 pm
© Reuters.  भारत को नेतृत्व करने की जरूरत, तस्करी के खिलाफ वैश्विक एजेंडा करें तय : थिंक चेंज फोरम
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नई दिल्ली, 27 जनवरी (आईएएनएस)। एक स्वतंत्र थिंक टैंक थिंक चेंज फोरम (टीसीएफ) ने शुक्रवार को सरकार से विश्व मंच पर तस्करी के खिलाफ अभियान चलाने और इसे उजागर करने का आग्रह किया, ताकि इसके खिलाफ कार्रवाई की जा सके। इसका हिस्सा बनाने के लिए सरकार के विभिन्न अंगों विदेश मंत्रालय, वित्त मंत्रालय और कॉपोर्रेट मामलों के मंत्रालय को वित्त मंत्रालय के साथ नोडल एजेंसी के रूप में मिलकर काम करना चाहिए। इस संबंध में फोरम ने विदेश मंत्रालय और वित्त मंत्री को अभ्यावेदन दिया है।

फोरम ने कहा कि तस्करी ने विकसित अर्थव्यवस्थाओं को मदद की है, क्योंकि उनके कानूनी रूप से उत्पादित सामान विकासशील देशों में तस्करी के रूप में प्रवेश करते हैं।

डब्ल्यएचओ(विश्व स्वास्थ्य संगठन) के अनुसार हर साल सरकारों को तंबाकू उत्पादों के अवैध व्यापार से राजस्व में 40.5 बिलियन डॉलर का नुकसान होता है। यह व्यापार उच्च आय वाले देशों की तुलना में निम्न और मध्यम आय वाले देशों में अधिक प्रमुख है। अवैध व्यापार को खत्म करने से सरकारों को हर साल कम से कम 31.3 बिलियन डॉलर का लाभ होगा और 2030 के बाद से हर साल 1 लाख 64 हजार से अधिक समय से पहले होने वाली मौतों से बचा जा सकेगा, इनमें से अधिकांश मध्य और निम्न-आय वाले देशों में होती हैं।

थिंक चेंज फोरम के महासचिव रंगनाथ तनीर के अनुसार, यह एक विचित्र मामला है जहां हमारे पास हर छोटे-बड़े मुद्दों को समर्पित अंतरराष्ट्रीय दिवस है, लेकिन अब तक कोई अंतर्राष्ट्रीय तस्करी विरोधी दिवस नहीं है। ऐसा इसलिए है क्योंकि तस्करी विकसित देशों के बजाय विकासशील देशों के लिए चुनौती। वैश्विक ब्रांड के मालिक, जिनमें से अधिकांश विकसित दुनिया से उत्पन्न होते हैं, तस्करी की तुलना में जालसाजी के बारे में अधिक चिंतित हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि तस्करी से उपभोग करने वाले देश के लिए राजस्व का नुकसान होता है। इसलिए भारत को तस्करी के मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय सहमति बनाने में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए।

उन्होंने कहा,इस महीने की शुरुआत में हमारे प्रधान मंत्री ने इंदौर में 17 वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन में बोलते हुए कहा कि वैश्विक मंच पर भारत की आवाज सुनी जा रही है और लोग आशा और जिज्ञासा के साथ भारत की ओर देख रहे हैं। तस्करी को वैश्विक मंच पर उजागर करना एक अवसर है। भारत के लिए एक विश्व नेता के रूप में अपनी स्थिति को और मजबूत करने के लिए विकासशील देशों की आवाज बनने और एक ही समय में अपनी अर्थव्यवस्था की रक्षा करने के लिए आगे आना चाहिए।

टीसीएफ ने विश्व स्तर पर तस्करी के मुद्दे को उठाने के लिए सरकार को एक रोडमैप सुझाया है। तस्करी को एजेंडे पर रखने के लिए विदेश मंत्रालय को संयुक्त राष्ट्र महासभा के अगले सत्र में पहल करनी चाहिए। काम शुरू करने का यह सही समय है क्योंकि महासभा का नियमित सत्र प्रत्येक वर्ष सितंबर में शुरू होता है और दिसंबर तक चलता है।

महासभा के अनंतिम एजेंडे में शामिल की जाने वाली वस्तुओं की प्रारंभिक सूची वर्ष की शुरूआत में, आमतौर पर फरवरी में जारी की जाती है, इसलिए मंत्रालय को तुरंत काम शुरू करना पड़ता है। भारत को तस्करी के प्रभाव का सामना कर रहे इंडोनेशिया, ब्राजील और फिलीपींस जैसे समान विकासशील देशों के हितों को एकजुट करना चाहिए।

फोरम ने भारत सरकार से यूएनजीए को अंतर्राष्ट्रीय तस्करी विरोधी दिवस का प्रस्ताव देने और अन्य देशों के समर्थन को हासिल करने का भी आग्रह किया है, ताकि महासभा दिन की स्थापना के लिए एक प्रस्ताव को अपना सके। तस्करी के मुद्दे पर अधिक वैश्विक जागरूकता और कार्रवाई करने के लिए यह एक रैली स्थल बन जाएगा।

टीसीएफ ने सिफारिश की है कि कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय को ब्रांड मालिकों को जिम्मेदार ठहराना चाहिए, अगर उनके असली उत्पाद अवैध रूप से भारत में प्रवेश करते पाए जाते हैं। प्रदूषक भुगतान सिद्धांत के विचार को दोहराते हुए, कॉपोर्रेट मामलों के मंत्रालय को ऐसे ब्रांड मालिकों को दंडित करने की आवश्यकता है।

यह एक वैश्विक प्रथा है जहां कई प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय ब्रांड भारत जैसे विकासशील देशों में मांग पैदा करने के लिए ब्रांड को प्रचारित करने के एकमात्र उद्देश्य के साथ अल्प कानूनी संचालन स्थापित करते हैं, जबकि उत्पादों को सहायक द्वारा प्रत्यक्ष आयात के बजाय अंतरराष्ट्रीय व्यापारियों और वितरकों के माध्यम से बेचा जाता है।

वैध आयात की तुलना में स्थानीय बाजार में असमान रूप से उच्च खपत वाले सामानों या उत्पादों की एक सूची ब्रांड के नाम के साथ नियमित रूप से प्रकाशित की जानी चाहिए।

अर्थव्यवस्था को नष्ट करने वाली तस्करी और नकली गतिविधियों के खिलाफ समिति की रिपोर्ट ने पांच श्रेणियों के सामानों के लिए ऐसा किया है और अनुमान लगाया है कि 2019-20 तक भारत में अवैध बाजार 2.60 लाख करोड़ रुपये का है।

इस हिसाब से सरकार को 58,521 करोड़ रुपए का कर नुकसान का अनुमान है।

--आईएएनएस

सीबीटी

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