चेन्नई, 16 जुलाई (आईएएनएस)। संसद के मानसून सत्र की शुरुआत से एक दिन पहले यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) ने ट्विटर पर सरकारी बैंकों के निजीकरण के खिलाफ अभियान चलाने का आह्वान किया है। यूनियन के एक शीर्ष अधिकारी ने इसकी जानकारी दी है।अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) के महासचिव सी.एच. वेंकटचलम ने भी कहा कि 21 जुलाई को संसद के समक्ष विरोध प्रदर्शन किया जाएगा और सत्र के दौरान घटनाक्रम के आधार पर हड़ताल का आह्वान किया जाएगा।
संसद का मानसून सत्र 18 जुलाई से शुरू हो रहा है और जो विधेयक लाया जा सकता है, वह सरकारी बैंकों के निजीकरण को सक्षम बनाना है।
वेंकटचलम ने आईएएनएस से कहा, बैंकरों द्वारा ट्विटर अभियान 17 जुलाई की सुबह रविवार से शुरू होगा। इन दिनों में, हमारे पारंपरिक प्रचार मोड के अलावा सोशल मीडिया के माध्यम से प्रचार करना भी महत्वपूर्ण है।
उन्होंने बड़ी संख्या में लोगों तक पहुंचने के लिए संघ के सदस्यों से अंग्रेजी और क्षेत्रीय भाषाओं में ट्वीट करने को कहा था।
लंबे समय से यह कहा जाता रहा है कि सरकारी बैंकों का विलय करके करीब पांच बड़े बैंक बनाने का समय आ गया है।
हाल ही में एक पेपर में नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) की पूनम गुप्ता और कोलंबिया यूनिवर्सिटी के अरविंद पनगड़िया ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (NS:SBI) (एसबीआई) को छोड़कर सभी सरकारी बैंकों के निजीकरण की वकालत की थी।
उन्होंने कहा था, बेहतर परिसंपत्ति गुणवत्ता और उच्च रिटर्न वाले दो बैंकों के साथ शुरू करने के लिए निजीकरण किया जाना चाहिए और उन्हें अपने अन्य बैंकों में सरकार द्वारा विनिवेश के लिए एक उदाहरण के रूप में स्थापित करना चाहिए।
--आईएएनएस
एसकेके/एएनएम