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सुप्रीम कोर्ट ने संजय कुंडू का हिमाचल डीजीपी पद से तबादला करने के हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई

प्रकाशित 03/01/2024, 11:07 pm
सुप्रीम कोर्ट ने संजय कुंडू का हिमाचल डीजीपी पद से तबादला करने के हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई

नई दिल्ली, 3 जनवरी (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को आईपीएस अधिकारी संजय कुंडू को बड़ी राहत दी। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के उस पारित आदेश पर रोक लगा दी, जिसके तहत उनका राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) पद से तबादला किया जाना था। सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी कुंडू को हिमाचल हाईकोर्ट में आदेश वापस लेने की अर्जी (रिकॉल एप्लीकेशन) दाखिल करने को कहा है।

बेंच में जस्टिस जेबी परदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्र भी शामिल रहे। पीठ ने हाईकोर्ट से दो सप्ताह की अवधि के भीतर उनके आवेदन पर फैसला करने का अनुरोध किया। पीठ ने आदेश दिया कि कुंडू को आयुष विभाग के प्रधान सचिव के रूप में स्थानांतरित करने के सरकारी आदेश पर रोक रहेगी।

गौरतलब है कि 1996 बैच के आईपीएस अधिकारी सतवंत अटवाल त्रिवेदी को हाईकोर्ट के निर्देश के बाद 3 जनवरी को कुंडू के स्थान पर डीजीपी पद का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था।

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने 26 दिसंबर को राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि राज्य के पुलिस प्रमुख और कांगड़ा के पुलिस अधीक्षक का तबादला किया जाए ताकि वे एक व्यापारी की जान को खतरा होने की शिकायत की जांच को प्रभावित नहीं कर सकें।

हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एम.एस. रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति ज्योत्सना रेवाल दुआ की पीठ ने गृह सचिव को दोनों आईपीएस अधिकारियों को किसी अन्य पद पर तबादला करने का निर्देश दिया था ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पालमपुर स्थित व्यवसायी निशांत शर्मा की शिकायत पर दर्ज एफआईआर में निष्पक्ष जांच हो। शर्मा ने अपनी और अपने परिवार की जान को खतरा बताते हुए डीजीपी कुंडू पर आरोप लगाए थे।

शर्मा ने अपनी शिकायत में अपने सहयोगियों से परिवार और संपत्ति को खतरा होने का आरोप लगाया था, और, 25 अगस्त को गुरुग्राम में उन पर हुए क्रूर हमले की घटना का हवाला देते हुए कहा था कि सीसीटीवी फुटेज में एक पूर्व आईपीएस अधिकारी सहित हिमाचल के दो प्रभावशाली लोगों की पहचान की गई थी।

कुंडू ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि हाईकोर्ट ने विवादित आदेश पारित करने से पहले उन्हें सुनवाई का कोई मौका नहीं दिया।

--आईएएनएस

एफजेड/एबीएम

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