रांची, 31 मई (आईएएनएस)। झारखंड में लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार के दौरान स्थानीय मुद्दे छाए रहे। भ्रष्टाचार, घुसपैठ और आदिवासियों से जुड़े सवाल दोनों तरफ से प्रमुखता से उठाए गए। जातीय गोलबंदी ने भी चुनावी समीकरणों पर खासा असर डाला। राष्ट्रीय मुद्दे भी उठे, लेकिन, स्थानीय मुद्दों की तुलना में इनकी तीव्रता कम रही। लोकसभा चुनाव के ऐलान के करीब डेढ़ माह पहले 31 जनवरी को जब ईडी ने झारखंड के सीएम रहे हेमंत सोरेन को जमीन घोटाले में लंबी पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया था, तभी यह तय हो गया था कि चुनाव प्रचार के दौरान यह सियासी आरोप-प्रत्यारोप का मुद्दा बनेगा। भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने चुनावी रैलियों में हेमंत की गिरफ्तारी को जहां झारखंड के लिए शर्म का विषय बताया, वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा और 'इंडिया' गठबंधन ने इसे आदिवासी नेता के साथ अन्याय बताकर मतदाताओं से सहानुभूति अर्जित करने की कोशिश की।
दिल्ली, मुंबई के बाद रांची में 21 अप्रैल को 'इंडिया' गठबंधन ने इस मुद्दे पर 'उलगुलान न्याय रैली' आयोजित की। इसके बाद पीएम मोदी 3-4 मई को झारखंड के दो दिनों के प्रवास पर रहे तो उन्होंने बार-बार सवाल उठाया कि जिन्होंने आदिवासियों से लेकर सेना तक की जमीन लूटी, उन्हें जेल के अंदर होना चाहिए या नहीं? दो दिनों में ताबड़तोड़ तीन रैलियां कर उन्होंने झामुमो-कांग्रेस द्वारा हेमंत को 'पीड़ित' के तौर पर पेश करने के सियासी दांव का तगड़ा जवाब दिया।
संताल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ और बदलती जनसांख्यिकी का मसला भारतीय जनता पार्टी ने लगभग हर चुनावी सभा में उठाया और इसके लिए कांग्रेस-जेएमएम-राजद सरकार को जिम्मेदार ठहराया।
दूसरी तरफ झामुमो और कांग्रेस ने जनगणना में 'सरना आदिवासी धर्म कोड' और राज्य में आरक्षण की सीमा बढ़ाने के विधेयकों को लटकाए रखने का आरोप लगाकर केंद्र सरकार और भाजपा की नीयत पर सवाल खड़ा करने की कोशिश की। कांग्रेस के राज्यसभा सांसद धीरज साहू के ठिकानों पर आयकर छापों में 350 करोड़ की बरामदगी और इसके बाद कांग्रेस के मंत्री आलमगीर आलम के करीबियों के यहां से 37 करोड़ कैश जब्त किए जाने की घटनाओं के बरक्स भ्रष्टाचार के मुद्दे पर भाजपा ने कांग्रेस-जेएमएम की जबरदस्त घेराबंदी की।
'इंडिया' गठबंधन के पास इस मुद्दे पर मौन रहने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। झामुमो-कांग्रेस-राजद ने राज्य की सरकार की ओर से एससी-एसटी समुदाय के लोगों के लिए पेंशन की उम्र सीमा 60 से घटाकर 50 साल करने और अबुआ आवास योजनाओं को उपलब्धि के तौर पर भुनाने की कोशिश की। राज्य में ज्यादातर सीटों के चुनावी समीकरणों को जातीय गोलबंदी ने भी प्रभावित किया है।
भाजपा ने आदिवासी मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए उनके कल्याण की योजनाओं, भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने और द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनाए जाने जैसे कार्य गिनाए। रोजगार, गरीबी और आरक्षण से जुड़े मुद्दे दोनों तरफ से उठे।
--आईएएनएस
एसएनसी/एबीएम