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ममता बनर्जी को लोकतंत्र पर जरा भी आस्था तो छोड़ दें पद : कविता पाटीदार

प्रकाशित 19/06/2024, 11:07 pm
ममता बनर्जी को लोकतंत्र पर जरा भी आस्था तो छोड़ दें पद : कविता पाटीदार

भोपाल, 19 जून (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश से भाजपा की राज्यसभा सदस्य कविता पाटीदार ने पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल की जनता डर के साए में जी रही है। कविता पाटीदार त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री और सांसद बिप्लब देब के नेतृत्व वाली भाजपा की उस चार सदस्यीय समिति की सदस्य हैं, जो हाल ही में हिंसाग्रस्त पश्चिम बंगाल के हालातों का जायजा लेकर लौटी है।

पश्चिम बंगाल से लौटीं राज्यसभा सांसद कविता पाटीदार ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से सवाल किया है कि सिर्फ पश्चिम बंगाल में ही हर चुनाव के बाद हिंसा क्यों होती है? क्यों गरीब कार्यकर्ताओं के घर जलाए जाते हैं और महिलाओं पर अत्याचार किए जाते हैं?

राज्यसभा सांसद ने कहा कि हाल ही में भारत के 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों में लोकसभा चुनाव संपन्न हुए हैं। इसके साथ-साथ तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव भी हुए हैं। लेकिन, पश्चिम बंगाल को छोड़कर कहीं भी राजनीतिक हिंसा की कोई घटना नहीं हुई है। पश्चिम बंगाल ही एकमात्र ऐसा राज्य है, जो चुनाव के बाद हिंसा की चपेट में है। वहां की भयावह स्थिति को कलकत्ता उच्च न्यायालय ने भी गंभीरता से लिया है और बंगाल में केंद्रीय बलों की तैनाती 21 जून तक बढ़ा दी है।

उन्होंने कहा कि हिंसाग्रस्त बंगाल में कार्यकर्ता डरे हुए हैं, जनता डरी हुई है। घर और दुकानें जलाई जा रही हैं, महिलाओं के साथ अत्याचार हो रहा है और उनकी एफआईआर भी नहीं लिखी जा रही, जो बहुत गंभीर बात है। बंगाल में चुनाव के बाद हिंसा का यह पहला मौका नहीं है। वहां पंचायत चुनाव और 2021 के विधानसभा चुनाव में भी टीएमसी कार्यकर्ताओं और उनके समर्थक गुंडों ने हिंसा का तांडव किया था।

उन्होंने कहा कि वहां भाजपा के कार्यकर्ताओं को चुन-चुनकर मारा गया, उनके घर जलाए गए और महिला कार्यकर्ताओं को अपमानित किया गया था। राजनीतिक प्रतिशोध में इस तरह की हिंसा, लोकतंत्र में अस्वीकार्य और संविधान के खिलाफ है। बात-बात पर लोकतंत्र की दुहाई देने वाली ममता बनर्जी अगर लोकतंत्र पर जरा सी भी आस्था रखती हैं, तो उन्हें इस हिंसा की जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए।

--आईएएनएस

एसएनपी/एबीएम

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