नई दिल्ली, 17 जुलाई (आईएएनएस)। एक शोध में यह बात सामने आई है कि स्पाइनल मस्कुलर अट्रोफी (एसएमए) से पीड़ित लोगों में फैटी लिवर रोग विकसित होने का खतरा अधिक हो सकता है। यह शाेध अमेरिका, सिंगापुर और स्कॉटलैंड के शोधकर्ताओं ने संयुक्त रूप से किया है।शोध में बताया गया है कि स्पाइनल मस्कुलर अट्रोफी (एसएमए) वाले मरीजों को समय के साथ कई अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है और इसका प्रभाव तंत्रिका तंत्र से आगे बढ़कर लिवर जैसे अन्य अंगों को भी प्रभावित कर सकता है।
एसएमए एक दुर्लभ आनुवंशिक स्थिति है जो शरीर को सर्वाइवल मोटर न्यूरॉन (एसएमएन) नामक प्रोटीन का उत्पादन करने से रोकती है। यह गति को नियंत्रित करने वाली नसों के लिए आवश्यक होता है। मोटर न्यूरॉन्स में क्षति के कारण वे मांसपेशियों को संदेश भेजने में असमर्थ हो जाते हैं, जिसके चलते मांसपेशियों में लगातार कमजोर होती चली जाती है।
सिंगापुर स्थित ए स्टार्स इंस्टीट्यूट ऑफ मॉलिक्यूलर एंड सेल (NS:SAIL) बायोलॉजी (आईएमसीबी) की क्लीनीसियन साइंटिस्ट क्रिस्टल येओ ने कहा, ''हमारे निष्कर्षों से पता चलता है कि एसएमए रोगियों को समय के साथ अतिरिक्त स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा अधिक हो सकता है। एसएमए जीन (म्यूटेशन) लिवर सहित शरीर के अन्य अंगों को भी प्रभावित करता है।
प्रतिष्ठित जर्नल ऑफ क्लिनिकल इन्वेस्टिगेशन में प्रकाशित अध्ययन से पता चला है कि एसएमए का कारण बनने वाला एक आनुवंशिक उत्परिवर्तन (म्यूटेशन) लिवर कोशिकाओं में एसएमएन प्रोटीन के स्तर को और कम कर देता है। इससे लिवर की क्षति होती है और वसा को प्रभावी ढंग से तोड़ने और उपयोग करने की उनकी क्षमता कम हो जाती है।
फैटी लिवर रोग में लिवर में वसा जम जाती है जिससे सूजन और क्षति होती है। टीम ने कहा कि यह बीमारी आमतौर पर हृदय रोग, मधुमेह और मोटापे से जुड़ी होती है और एसएमए रोगियों के लिए विशेष रूप से चिंताजनक है।
फैटी लिवर रोग में लिवर में वसा जम जाती है जिससे सूजन और क्षति होती है। टीम ने कहा कि यह बीमारी हृदय की स्थिति, मधुमेह और मोटापे से जुड़ी होती है। वहीं एसएमए रोगियों के लिए विशेष रूप से चिंताजनक है।
--आईएएनएस
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